Book Title: Gautam Nam Japo Nishdish
Author(s): Dharnendrasagar
Publisher: Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba

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Page 55
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org संपादिताऽनेकमहर्द्धिको यः, संपादयामास मनोऽर्थितानि । नानाविधान्यक्षतलब्धियोगाच्चारित्रसाम्राज्यविभासितानाम्. वसुन्धरा रत्नवती बभूव, यज्जन्मना शान्तिनिकेतनेन । प्रभाविनां हि प्रभवोऽत्रलोके, लोकोपकाराय बुधैः प्रदिष्टः . यो भूरिभाग्योपचयेन भूमौ, विभूतिसारे वसुभूतिगेहे । क्रीडाविलासं विमलं विधातुमियेष धर्मप्रथनाऽभिलाषः . सुराऽसुरेन्द्रस्पृहणीयशील, आजन्मनः श्लाघ्यगुणाऽनुवादः । तत्त्वोपदेशेन समुद्धरन् यो, वृन्दं जनानां प्रवभौ नतानाम्.. प्रशासको दुर्नयमानवानां, निवारकोऽधर्ममतोद्यतानाम् । प्रभावको यो हि बभूव धर्मतत्त्वस्य भेत्ता भवबन्धनस्य. यः पुण्डरीकाऽध्ययनं ततान, तेनैव संवोधयति स्म नम्रम् । तिर्यङमहाजृम्भकलोकपालं, गुणाऽनुरक्तं गणभृद्वरेण्यः. २७ For Private And Personal Use Only Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ।।८।। ।।९।। ।।१०।। ।।११।। ।।१२।। ।।१३।।

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