Book Title: Gautam Nam Japo Nishdish
Author(s): Dharnendrasagar
Publisher: Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba

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Page 69
________________ www.kobatirth.org पंचानन जिम गिरिवर राजे, नरवइ घर जिम मयगल गाजे, तिम जिनशासन मुनिपवरो.. Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जिम सुरतरुवर सोहे शाखा, जिम उत्तम मुख माधुरी भाषा, जिम वन केतकी महमहे ए.. जिम भूमिपति भूयबल चमके, जिम जिनमंदिर घंटा रणके, तिम गोयम लब्धे गहगहे ए.. चिंतामणि कर चढियो आज, सुरतरु सारे वंछित काज, कामकुंभ सवि वश हुआ ए... कामगवी पूरे मनकामिय, अष्ट महासिद्धि आवे धामिय, सामिय गोयम अणुसरोए. पणवक्खर पहेलो पभणीजे, माया बीज श्रवण निसुणीजे, श्रीमति शोभा संभवे ए. देवह धुरि अरिहंत नमीजे, विनय पहु उवजझाय थुणीजे, इण मंत्रे गोयम नमो ए.... पर परवसतां कांई करीजे, देशदेशांतर कांई भमीजे, कवण काज आयास करो.. प्रह उठी गोयम समरीजे, काज समग्गह ततखिण सीझे, नवनिधि विलसे तास घरे..... चउदह सय बारोत्तर वरसे, गोयम गणहर केवल दिवसे, ( खंभनयर प्रभु पास पसाए) किओ कवित्त उपगारपरो. ४१ ।।५७ ।। For Private And Personal Use Only ।। ५८ ।। ।। ५९ ।। ।।६० ।। ।।६१ ।। ।।६२ ।। ।।६३ ।। ।।६४।। ।।६५ ।। आदेहि मंगळ एह भणीजे, परव महोच्छव पहिलो लीजे, ऋद्धि वृद्धि कल्याण करो... धन्यमाता जिणे उदरे धरीया, धन्य पिता जिण कुल अवतरिया, धन्य सद्गुरु जिणे दिक्खियाए . ।।६६।। ।।६७।। ।। ६८ ।।

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