Book Title: Gautam Nam Japo Nishdish
Author(s): Dharnendrasagar
Publisher: Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba
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।।१।।
छंद विभाग (१) श्री गौतमस्वामीनो रास
भाषा (ढाल पहेली) वीरजिणेसर-चरणकमल-कमलाकयवासो, पणमवि पभणीशुं सामिसार, गोयमगुरु रासो; मणतणुवयणेकंत करवी, निसुणो भो भविया, जिम निवसे तुम देहगेह, गुणगण गहगहिया.
जंबूदीव सिरिभरहखित्त, खोणीतलमंडण, मगधदेश सेणीयनरेस, रिउदल-बलखंडण; धणवर गुव्वर नाम गाम, जिहां गुणगण सज्जा,
विप्प वसे वसुभूई तत्थ, तसु पुहवी भज्जा...... ........... ।।२।। ताण पुत्त सिरि इंदभूई, भूवलय पसिद्धो, चउदह विज्जा विविहरूव, नारीरस विद्धो; विनय विवेक विचार सार, गुणगणह मनोहर, सात हाथ सुप्रमाण देह, रूपहिं रंभावर........
नयण वयण कर चरण, जिणवि पंकज जल पाडिय, तेजे तारा चंद सूर, आकाशे भमाडिय; रूवे मयण अनंग करवी, मेलियो निरधाडिय, धीरमें मेरु गंभीर सिंधु, चंगिम चयचाडिय.
...... ।।४।। पेखवि निरूवम रूव जास, जण जंपे किंचिय, एकाकी कलिभीत इत्थ, गुण मेहल्या संचिय; अहवा निश्चे पुव्वजम्मे, जिणवर इणे अंचिय, रंभा पउमा गौरि गंगा रति, हा विधि संचिअ.
..... ।।३।।
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