Book Title: Gautam Nam Japo Nishdish
Author(s): Dharnendrasagar
Publisher: Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba

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Page 41
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ... ||१८ ।। जगत्त्रयोद्भासि यशस्तवैतत् क्व स्पर्धतां सार्धमनेन चन्द्रः । यस्यापरार्धेऽपि तृणस्य(?) नैव प्रभाप्रभावो लभतेऽवकाशम्... ||१६।। छत्रेन्दुपद्मदिषु रूढिमात्रं त्वन्नाम्नि तु श्रीर्वसतीति पुष्टिः । कुतोऽन्यथा तज्जपदीक्षितानां पुर:पुरो नृत्यति नित्यमृद्धिः.. ।।१७।। वसुभूतिसुतोऽपि कौतुकं वसुभूतेर्जनकः प्रणेमुषाम् । भगवन्नभवोऽपि वर्तसे कथमङ्गीकृतसर्वमङ्गलः, नाधः करोषि वृषमीश गणाधिपोऽपि धत्से सदाशयमपाशमपि प्रचेताः। श्रीदोऽपि सूत्रितयमालयवासकेलिस्त्वं पावको हरसे हरहेतिपातम्. ।।१९।। यत्तपत्यपि कलौ जिनप्रभाचार्य मन्त्रमनुशीलतां स्फुरेत्। हेतुतात्र खलु तत्त्वदेकताध्यानपारमितयैव गृह्यते.. मयैवं दुर्दैवं शमयितुमलंभूष्णुमहिमा स्तुतस्त्वं लेशेनश्रुतरथधरो गौतमगुरो। कुरूद्योतं क्लींवद्दिनपतिसुधाङ्गौ तमसि मे प्रभो विद्यामन्त्रप्रभवभवते गौतम नमः ......... ||२१ ।। ..... ||२०।। For Private And Personal Use Only

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