Book Title: Gautam Nam Japo Nishdish
Author(s): Dharnendrasagar
Publisher: Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba

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Page 38
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अतिशेषेतरां(चिरां) धाम्ना, भगवन्! भास्करी श्रियम् । अतिसौम्यतया चान्द्री-महो ते भीमकान्तता... .......... ![५ ।। विजित्य संसारमाया-बीजं मोहमहीपतिम ।। नरः स्यान्मुक्तिराज्यश्री-नायकस्त्वत्प्रसादतः. ............... ।।६।। द्वादशांगीविधौ वेधाः, श्रीन्द्रादिसुरसेवितः(सुरेन्द्रादिनतक्रमः)। अगण्यपुण्यनैपुण्यं, तेषां साक्षात् कृतोऽसि यैः................. ।।७।। नमः स्वाहापतिज्योति-स्तिरस्कारितनुत्विषे । ___ श्रीगौतमगुरो! तुभ्यं, वागीशाय महात्मने................... ।।८।। इति श्रीगौतम! स्तोत्र-मंत्रं ते स्मरतोऽन्वहम् । श्री जिनप्रभसूरेस्त्वं, भव सर्वार्थसिद्धये............. ........... ।।९।। (८) श्री जिनप्रभसूरि विरचितं गौतमस्तोत्रम् श्रीमन्तं मगधेषु गोर्बर इति ग्रामोऽभिरामः श्रिया, तत्रोत्पन्नमसन्नचित्तमनिशं श्रीवीरसेवाविधौ । ज्योतिः संश्रयगौतमान्वयविपत्प्रद्योतनद्योमणिं, तापोत्तीर्णसुवर्णवर्णवपुषं भक्त्येन्द्रभूतिं स्तुवे......... ||१|| के नाम नाभगुरभाग्यसृष्ट्यै दृष्ट्यै सुराणां स्पृहयन्ति सन्तः । निमेषविघ्नोज्झितमाननेन्दुज्योत्स्नां मनोहत्य तवापिबद्या. . ||२| निर्जित्य नूनं निजरूपलक्ष्म्या तृणीकृतः पञ्चशरस्त्वया सः । इत्थं न चेत्तर्हिकुतस्त्रिनेत्रनेत्रानलस्तं सहसा ददाह... ।।३।। For Private And Personal Use Only

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