Book Title: Epigraphia Indica Vol 15
Author(s): Sten Konow, F W Thomas
Publisher: Archaeological Survey of India

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Page 302
________________ - - - - ---- No. 12.] BHAVNAGAR PLATES OF DHRUVASENA I: [VALABHI-JSAMVAT 210.257 12 'युक्ताचाटभटट्रानिकमहत्तरध्रवादिकरणिकदाण्डपाशिकादीनन्यांश्च यथासंबद्ध्य13 मानकान्बोधयव्यस्तु वो विदितं यथा हस्तवप्राहरण्यां छेदकपद्रक Second Plat. 14 ग्रामे पूर्वसोम्नि चद्दवकस्कम्भ[क्य कप्रत्ययपादावा- पंचाशा मालाकारोत्त रसिम्मि 15 षोडशपादावर्त्तपरिसरोदुम्बरकूपश्च सभूतधातसहिरण्यादेयं वलापवास्तव्य16 ब्राह्मणणसाय मोनसगोत्राय छन्दोगसब्रह्मचारिणे मया मातापित्रोः पुण्या प्यायनाय 17 आत्मनश्चैहिकामुणिक यथाभिलषितफलावाप्तिनिमित्तमाचन्द्रासिंवक्षितिस्थिति सरित्य बतस्थितिस18 मकालीनः पुत्रपौत्रान्वायभोग्यं बलिचस्वैश्वदेवाद्यानां क्रियाणां समु(त्ममु) सप्पणात्य मुदकातिसर्गेण 19 ब्रह्मदायो निसृष्टः [*] यतोयोचितया ब्रह्मदायस्थित्या भुजतः कषत: कर्षयतः प्रदिशतो वा 20 न कैश्चित्वल्पाप्याबाधा विचारणा वा कार्यास्मइंशजैरागा मिभद्रनृपतिभिश्चा नित्यान्यैश्वर्याण्य. 21 स्थिरं मनुष्य सामान्यं च भूमिदानफलमवगच्छभिरयमस्मदायोनुमन्तव्य[:1*] यचाच्छिन्द्या. 22 दाच्छिद्यमानं वानुमोदेस पंचभिम्म"हापातकैस्मोपपातकैसंयुक्तरस्या[द*]पि चत्र" व्यासगीता[:*] लोका 23 भवन्ति [*] बहुभिर्वसुधा भुक्ता राजभिस्मगरादिभिः [*] यस्य यस्य यदा भूमिस्तस्य तस्य तदा फलं [*] 24 षष्ठिं वर्षसहस्राणि स्वगर्गे मोदति भूमिदः [*] आच्छेत्ता चानुमन्ता च तान्येव नरके वसेत् [*] 25 वदत्ता परदत्तां वा यो हरेत वसुन्धरां [*] गवां शतसहस्रस्य हन्तु: प्राप्नोति किल्बिषम् [*] 26 स्वहस्तो मम महासामन्तमहाराजध्रुवसेनस्य [*] दूतकः प्रतीहारमम्मक; [*] लिखितं किचकेन [*] 1 Read yuktai. Read tyastu. Read Mänavasao. Read onartthanso. . The a-sigu in ga is peculiar. 11 Read ma. 11 Read ttan. ? Read dhi. • Read °imni. . Read nea. Read bhutjatah. 10 Read manushyain. 12 Read chátra.

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