Book Title: Dravyasangrah
Author(s): Nemichandramuni
Publisher: Bharatkumar Indarchand Papdiwal

View full book text
Previous | Next

Page 56
________________ Mo दग गाथार्थ : [ सद्दो ] शब्द [ बंधो ] बंध [ सुहुमो ] सूक्ष्म [ थूलो ] स्थूल [ संठाण ] संस्थान [ भेद ] भेद [ तम ] तम [ छाया ] छाया [ उज्जोद ] उद्यीत [ आदव ] आतप [ सहिया ] सहित [ पुग्गलदव्वस्स ] पुद्गल द्रव्य की [ पजाया ] पर्यायें हैं ।। 36 ॥ टीकार्थ: पुग्गलदव्वस्स पज्जाया ये पुद्गल द्रव्य की पर्यायें हैं। वे कौन सी? आत्मा के परिस्पंद से, नाना प्रकार के अणुओं के संघटन से, तालुओष्ठ आदि के व्यापार से, हाथ-पैर लकड़ी-पाषाण आदि के परस्पर घर्षण से शब्द उत्पन्न होता है। बंधो स्निग्ध दो परमाणुओं के साथ चार रूक्ष परमाणुओं का संश्लेष, एक स्निग्ध के साथ तीन रूक्षों का संश्लेष, तीन स्निग्ध परमाणु के साथ पाँच रूक्ष परमाणुओं का संश्लेष, यह बन्ध का उपलक्षण है। सुमो सूक्ष्म परमाणु धूलो स्कन्ध रूप होने से स्थूल, संठाणभेद समचतुरस्त्र संस्थान, न्यग्रोधपरिमण्डल संस्थान, स्वाति संस्थान [सर्प की बांबी के समान आकृति ] वामन संस्थान, हुण्डक संस्थान [ चमड़े की मशक के समान आकृति ] कुब्जक संस्थान तम अंधकार छाया वृक्षादि से उत्पन्न उज्जोदतारा, चन्द्र, मणि, माणिक्यों से उत्पन्न प्रकाश आदव आतप, अग्नि या सूर्य से उत्पन्न प्रकाश । - भावार्थ : शब्द, बन्ध, सूक्ष्म, स्थूल, संस्थान, भेद, तम, छाया, आतप और उद्योत ये पुद्गल द्रव्य की दस पर्यायें हैं ।। 16 | विशेष : टीकाकार ने भेद पर्याय को स्वीकार किया है, परन्तु उस का अर्थ नहीं किया है। वस्तु को अलग-अलग करना, भेद है ।। 16 | [ सम्पादक ] उत्थानिका : जीवपुद्गलयोर्धर्मगतिसहकारी भवतीत्याह - गाथा : गड़परिणयाण धम्पो पुग्गलजीवाण गमणसहयारी । तोयं जह मच्छाणं अच्छंता छोव सो पोई॥ 17 ॥ 43

Loading...

Page Navigation
1 ... 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121