Book Title: Dravyasangrah
Author(s): Nemichandramuni
Publisher: Bharatkumar Indarchand Papdiwal

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Page 114
________________ गाथा ओ अजीव पुण अवचदुणाणदंसण अणुगुरुदेहपमाण अवगासदाणजोगं असुहादो विणिवित्ती आसवदि जेण कम्मे आसव-बंधण- संवर उवओगो दुवियप्पो एयपदेसो बि अणू एवं छब्भेयमिदं दव्वसंगह की अकारादि क्रम से गाथासूची गाथा संख्या गाथा परिणयाण धम्मो चेदणपरिणामो स जह कालेण तवेण य जादियं आयासं जीवमजीवं दव्यं जीवादी सरहणं जीवो उवओगमओ जो रयणत्तयजुत्त जं किंचिवि चितंतो जं सामण्णं गहणं ateजुदा अधम्मो ण चदुघाइकम्मो [दव्वसंगठ आपाय श्री सावां कम्म णाणावरणादीर्ण जाणं अद्भुविय णिक्कम्मा अट्ठगुणा तवसुदवदवं चेदा तिक्काले चदुपाणा दव्यपरिवदृरूव परिशिष्ट - 1 15 दव्वसंगहमिणं मुणिणाहा 6 दुविहं पि मोक्खहे 10 दंसणणाणपहाणे 19 दंसणणाणसमग्गं 45 दंसणपुत्रं गाणं श्रम्माधम्मा कालो 29 28 | पणतीससोलछप्पण 4 पर्याडिद्विदि अणुभाग 26 पुग्गलकम्मादीणं 22 | पुढविजलतेउवाऊ 17 बज्झदि कम्मं जेण दु 34 बहिरब्भंवरकिरिया 36 27 मग्गणगुणठाणेहि य मा चिट्ठह मा जंपह 1 मा मुज्जह मा रज्जह 41 मिच्छत्ताविरदिपमाद 2 रयणत्तयं ण वट्टइ 53 लोयायासपदेसे 55 वण्णरस पंच गंधा 43 वदसमिदीगुत्तीओ 18 | वनहारा सुहदुक्खं 50 सद्दो बंधो सुहुमो समणा अमणा णेया सव्वस्स कम्मणो जो 51 31 5 सुहअसुहभावजुत्ता 14 संति जदो सेणेदे 57 सम्मद्दंसण णाणं गाथा संख्या 3 संसयत्रिमोहविभम 21 होंति असंखा जीवे 58 47 52 54 44 20 49 33 8 11 32 46 13 56 48 30 40 22 7 35 9 16 12 37 38 24 39 42 25 Ga

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