Book Title: Dravyasangrah
Author(s): Nemichandramuni
Publisher: Bharatkumar Indarchand Papdiwal

View full book text
Previous | Next

Page 83
________________ दव्यसंगह धर्माः। अनुप्रेक्षा द्वादशप्रकारा ज्ञातव्याः1 अनित्य-अशरण-संसारएकत्व-अन्यत्व-अशुचित्व-आस्रव-संदर-निर्जरा-लोक-बोधिदुर्लभधर्माश्चेति। परीषहजयः द्वाविंशतिप्रकाराः, क्षुधा-पिपासा-शीत-उष्णदंशमशक-नाग्न्य-अरति-स्त्री-चर्या-निषद्या-शय्या-आक्रोश-वधयाम-मालाभ-गोग-स्पर्शमान-मल्हारराकार-प्रज्ञा-अज्ञानअदर्शनानि। चारित्रत्रयोदशप्रकारं हिंसाऽनृतस्तेयाब्रह्मपरिग्रहेभ्यो विरतिः पञ्चप्रकारा;। समतास्तुतिवन्दनाप्रतिक्रमणस्वाध्यायप्रत्याख्यानानि षट्, अ: सही, नि: सही चेति चारित्रम्। उत्थानिका : उस आनव निरोध में जो विशेष हैं, उन को कहते हैं - गाथार्थ : [वदसमिदीगुत्तीओ ] व्रत, समिति, गुप्ति [ धम्माणुपेहा ] धर्मअनुप्रेक्षा [ परीसहजओ ] परीषह जय [य] और [चारित्तं ] चारित्र [ बहुभेया ] अनेक प्रकार के [दव्वसंवरविसेसा ] द्रव्यसंवर के भेद [णादव्वा ] जानने चाहिये।। 35 ।। टीकार्थ : णादव्या दव्वसंवर विसेसा द्रव्यसंवर के भेद जानने चाहिये। द्रव्यसंवर कितने भेदों से युक्त है? बहुभेया अनेक भेद हैं। वे कौन से हैं? सो कहते हैं - वदसमिदीगुत्तीओ धम्माणुपेहा परीसहजओ य चारित्तं तप, समिति, गुप्ति, धर्म, अनुप्रेक्षा, परीषह जय और चारित्र। ___उस में बाह्य और आभ्यन्तर के भेद से तप बारह प्रकार का है। अनशन, अवमौदर्य, वृत्तिपरिसंख्यान, रसपरित्याग, विविक्त शय्यासन और कायक्लेश ये छह बाह्य तप हैं। प्रायश्चित्त, विनय, वैयावृत्त, स्वाध्याय, व्युत्सर्ग और ध्यान ये छह आभ्यन्तर तप हैं। ई-भाषा-एषणा--आदाननिक्षेपण और व्युत्सर्ग ये पाँच प्रकार की समितियाँ हैं। 70

Loading...

Page Navigation
1 ... 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121