Book Title: Dharm me Pravesh Author(s): Chandraprabhsagar Publisher: Jityasha Foundation View full book textPage 7
________________ और उनका अमृत-जल आदमी से लेकर सुधिजनों तक इस पुस्तकाकार में वे अपने आशीर्वाद सहित भेज रहे हैं। निश्चय ही यह संसार की महानतम पुस्तकों में एक है। यह एक प्रकार से धर्म के स्वरूप को दरशाने वाली गीता है। इसका हर एक चेप्टर आपके लिए मील का पत्थर है। राह दिखाने वाले पूज्यश्री के ये सन्देश जीवन, धर्म और अध्यात्म के बुनियादी उसूल हैं। इन्हें शांति और मुक्ति की कुंजी समझना चाहिए। इनके माध्यम से उन्होंने मानव-जाति को एक सार्थक नई दिशा-दृष्टि देने का प्रयत्न किया है। हमारे जीवन में धार्मिक स्वच्छता एवं आध्यात्मिक गहराइयों को जन्म देने के लिए यह पुस्तक एक सशक्त माध्यम है। इसे घर-घर पहुँचना चाहिए, घर-घर पढ़ा और जीया जाना चाहिए। विश्वास है कि यह पुस्तक पाठकों में धर्म की सही समझ विकसित करने और मनुष्य मात्र की शांति का मार्ग प्रशस्त करने में सफल होगी। मुक्ति के साम्राज्य में इसका प्रवेश हो, इसी सद्भावना के साथ प्रणाम! - नि:शेष Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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