Book Title: Descriptive Catalogue Of Manuscripts Vol 12
Author(s): Hiralal Rasikdas Kapadia
Publisher: Bhandarkar Oriental Research Institute

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Page 395
________________ 372 Alankara, Sangita and Natya [309, Folio Chapter Title Folio Chapter Title 93 XXXVIII चक्रादिपंचताल 102 XXXIV अंगाभिनयलक्षण प्रस्तार 110 XXXV हस्तभेदलक्षण 95 XXIX ताललक्षण 113 XXXVI कुंडालशब्दप्रबंध 97 XXX मृदु(ताललक्षण 115 XXXVII 98 XXXI रसभावलक्षण आकजादिलक्षण 98 XXXII अष्टविधनृत्यकरण 127 ...... उमापतीयं100 XXXIII शिरोभेदलक्षण समाप्तम Age.-- A modern copy made in 1919 from a Madras Ms. Author.- Apparently TaTTa The name of the author as such is not mentioned in the colophons ). Subject.- Music (गीतशास्त्र). ___According to Mr. M. R. Kavi, औमापतम् is an epitome of the work of area in 40 chapters. It is a mere Catalogue of technical terms. King Raghunātha of Tanjore describes it as follows:“उमापतेराधुनिकस्य तन्वं विलोक्य नन्दीशमतानुसारि (See JAHRS-J, pt. 2, p. 59). Begins.--- ॥ श्रीगुरुयो नमः ॥ श्रीगणपतये नमः ।। प्रणिपत्य महेशानी शम्भुमासीनमन्तिके ।। पप्रच्छ तत्वतो हि नादांस्वपसंभवान् ॥ १॥ ईश्वर उवाच भूतोत्पत्ति प्रवक्ष्यामि देहोत्पत्तिं च पार्वति ।। विना तयोः परिज्ञानं सम्यज्ञान न बुध्यते महाप्रलयकालेपि सर्वभूतापहारिणि । आकाशनादयोर्नास्ति सूक्ष्मयोः क्षयसंगमः ॥ ३ ॥ कावेव मुवनस्यास्य कारणं सकलस्य च ॥ बाह्याभ्यंतरयोदेंवि नादउत्पत्तिकारणं ॥४॥ यत्र नादस्य संसूतिस्तत्र तालो विजृभते ॥ नादात्मकमिद देवि सर्वतालमयं जगत॥५॥

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