Book Title: Descriptive Catalogue Of Manuscripts Vol 12
Author(s): Hiralal Rasikdas Kapadia
Publisher: Bhandarkar Oriental Research Institute

Previous | Next

Page 416
________________ 318.] B--Sargita : 393 अथ ग्रंथेन रससंक्षिप्तं प्रसन्नपदपक्तिना। ... । निशंको निखिलं रागविवेक रचयत्यतुं ॥१॥ पंचधा ग्रामरागस्युः पंचगीतिसमाश्रयात् । गीतया पंचशुद्धाद्या भिंना गौडी च बेसशा ॥२॥ साधारणीति शुद्धा स्यादवक्त्रै ललितैः स्वरैः भिन्ना सूक्ष्मैः स्वरैर्वत्क्वैर्मधुरैर्गमकैर्युता ॥३॥ Ends.- folio 17 क्रमोत्स्वरैकेकाविहानभूताः सर्वे भवन्यत्र हि रागरागे रागे तु सप्तस्वरके भवांत पूर्वोदिता सक्रमरूडताना॥४१॥ नवांकविद्वग्निसचंद्रसंख्या रागे मताः वाडवतोपि तानाः ॥ षड्गध्रुवरिंवदुमिताश्वतानाः स्युरोडवे मार्गणपक्षरामाः ॥ ४२ ॥ सकलसुरमयीश्रीरुद्रविणा प्रभेदं स्वरवररचनासद्रागमेलप्रकारं ॥ सुललितगतिनानारागलक्ष्मादिकंच नरवरवरहाणः स्पष्टमेवं करोति ॥ ४३ ॥ .. इति कर्णाटकजातिप(ोडरी(क/विठलविरचिते सद्रागचन्द्रोदये स्वर मेलप्रसादो द्वितीयः । References.- The only other Ms of the work referred to by Au frecht is Bik. 529. The colophon of this Ms runs as under: " इति श्रीकर्णाटकजातीयपुण्डरीकविठ्ठलविरचिते पदागचन्द्रोदये व्याप्तिप्रसादः तृतीयः समाप्तः " The work appears to have consisted originally of three prasadas only. Our Ms represents probably only the 2nd prasada known as 'स्वग्मेलप्रसाद'. The Bikaner Ms consists of 28 folios as compared with 14 folios of the present Ms. 50 | A. S. N. 1

Loading...

Page Navigation
1 ... 414 415 416 417 418 419 420 421 422 423 424 425 426 427 428 429 430 431 432 433 434 435 436 437 438 439 440 441 442 443 444 445 446 447 448 449 450 451 452 453 454 455 456 457 458 459 460 461 462 463 464 465 466 467 468 469 470 471 472 473 474 475 476 477 478 479 480 481 482 483 484 485 486 487 488 489 490 491 492 493 494 495 496 497 498 499 500 501 502 503 504 505 506 507 508 509 510