Book Title: Dan Amrutmayi Parampara
Author(s): Pritam Singhvi
Publisher: Parshwa International Shaikshanik aur Shodhnishth Pratishthan
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साहित्य द्वारा साचववी अनिवार्य बनी जाय छे. 'दान : अमृतमयी परंपरा' दान विशेनी शास्त्रीय चर्चा करतो ग्रंथ छे. हजु तेमां घणा रहस्योनी वात करी शकाय परंतु ए दरेकने माटे नथी. ए गुरुगम छे. आपणे सौ एकबीजानी साथे ऋणानुबंधथी ज जोडायेला छीओ. धर्मना रस्ते प्रत्येक पगलं अनेक जन्मो अने अनेक कर्मोनुं रहस्य खोलतुं होय छे. समर्थ गुरुनी कृपाथी अ बधुं शक्य बने छे.
तमारुं एक नानकडुं दान कोईना जीवन माटे केटलुं उपयोगी होय छे अ तमे जाणता नथी होता. प्रारब्ध कर्मने, कर्मना बंधनोने अने दानने केवो संबंध छे से गुरुकृपाओ जाणी शकाय छे. क्यारेक मात्र अहंकारनी पुष्टी माटे करेलुं दान भविष्य माटे केटलुं जोखमी बनी जाय छे तेनो . आपणने ख्याल नथी होतो. घणीवार आपणे दान करता रहीओ छीओ अने आपणने खबर पण नथी होती के दान मूळमांथी निष्फळ जई रह्युं होय छे. दानना आवा न कल्पेला विज्ञाननी चर्चा धर्मनी दृष्टि पूरी निष्ठाथी प्रीतमबेने करी छे. मारी दृष्टि दान विशेनुं आ प्रकारनुं आ पहेलुं पुस्तक
छे.
'दान : अमृतमयी परंपरा' पुस्तकने हुं आवकारता प्रसन्नता अनुभवुं छु अने आशा राखुं छं के सौ तेने हृदयथी वधावी लेशे. प्रीतमबेनने पण आ क्षणे हार्दिक शुभेच्छाओ अने हार्दिक अभिनंदन......
राजेश व्यास 'मिस्कीन'
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