Book Title: Dan Amrutmayi Parampara
Author(s): Pritam Singhvi
Publisher: Parshwa International Shaikshanik aur Shodhnishth Pratishthan

View full book text
Previous | Next

Page 15
________________ दान : अमृतमयी परंपरानुं ___ वर्णन करतुं पुस्तक... जमणो हाथ दान आपे तो डाबाने खबर पडवी न जोईओ एम कहेवाय छे. ओम शा माटे कहेवायुं हशे ? दान जेटलुं गुप्त अटलुं वधु सारं. परंतु समाजमां तो आपणे अथी अवछं जोई छीओ. मुठ्ठीभर दान आपीने जंदगीभर प्रतिष्ठा मेळववाना प्रयासो करतां पण कोई जोवा मळे छे. ___ खरेखर दान- शुं महत्त्व छ ? केटला प्रकारना दान छे? दान क्यारे निष्फळ जाय छे ? भावदान- स्वरूप शुं छे ? आवा-आवा अनेक विषयो उपर सरळ भाषामां खूब ज तलस्पर्शी चर्चा प्रीतमबेन संघवीओ करी छे. मात्र अनुक्रमणिका जोई तो पण ख्याल आवशे के नव प्रकरणमां वहेंचायेलुं आ पुस्तक दान विशे एक नवी ज दृष्टि आपे तेवू छे. डो. हरिवल्लभ भायाणी साहेब पासे पीएच.डी. थयेला प्रीतमबेन संघवीओ तेमनुं संशोधन- काम सतत चालु राख्युं छे अने जैन धर्मना घणा ग्रंथों तेमणे आप्या छे. प्रीतमबेन पोते अत्यंत सरळ व्यक्तित्व छे. श्रद्धावान छे. सरळता अने श्रद्धा धर्मना गहन रहस्यने तागवा माटे । पामवा माटे अनिवार्य छे. गुरुकृपाओ तेमने आ सुलभ बन्युं छे तेनो आनंद छे. मंदिरमा जइने आपणे घंट शा माटे वगाडीओ छीओ ? चंदनना चांदलानुं शुं महत्त्व छ ? गर्भगृहनुं शुं महत्त्व छ ? शा माटे दीवो प्रगटावामां आवे छे ? प्रत्येक झीणामां झीणी विधिनुं एक विराट विज्ञान छे. आ रहस्योना जाणकार ओछा थता जाय छे. त्यारे धर्मना रहस्योनी आ परंपराने

Loading...

Page Navigation
1 ... 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 ... 340