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Ep• अनुमाणिका
क्र.सं. विषय . 1. चैत्यवंदन भाष्य प्रथम क्यों
2. मंगलाचरण का कथन 3. आगमों के भेद प्रभेद 4. अनुबन्ध चतुष्टय का कथन 5. लेखन का प्रयोजन 6. चैत्य का अर्थ व प्रकार 7. चौबीस द्वारों का कथन 8. पहला त्रिक द्वार
i. निसीहि त्रिक ii. प्रदक्षिणा त्रिक ili. प्रणाम त्रिक iv. पूजा त्रिक v. अवस्था त्रिक vi. दिशा त्रिक vii. प्रमार्जना त्रिक vili. आलम्बन त्रिक
_ix. मुद्रा त्रिक | ·x. प्रणिधान त्रिक | 9. दूसरा अभिगम द्वार
10. तीसरा दिशि द्वार 111. चौथा अवग्रह द्वार
12. पांचवां चैत्यवंदना द्वार
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