Book Title: Bodhamrutsar
Author(s): Kunthusagar
Publisher: Amthalal Sakalchandji Pethapur

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Page 8
________________ [३] कर्नाटक प्रांतके ऐश्वर्यभूत बेळगांव जिल्लेमें ऐनापुर नामक . सुंदर ग्रम है । वहांपर चतुर्थ कुलमें ललामभूत अत्यंत शांतस्वभाव वाले सातप्पा नामक श्रावकोत्तम रहते हैं। आपकी धर्मपत्नी साक्षात् सरस्वती के समान सद्गुणसंपन्न थी। इसलिये सरस्वतीके नामसे ही प्रसिद्ध थी। सातप्पा व सरस्वती दोनों अत्यंत प्रेम व उत्साहसे देवपूजा, गुरूपास्ति आदि सत्कार्य में सदा मग्न रहते थे। धर्मकार्य को वे प्रधान कार्य समझते थे। उनके हृदय में आंतरिक धार्मिक श्रद्धा की। श्रीमती सौ. सरस्वतीने संवत् २४२० में एक पुत्र रत्नको जन्म दिया। इस पुत्राका जन्म शुक्लपक्षकी द्वितीयाको हुआ, इसलिये शुक्ल पक्षके चंद्रमाके समान दिनपर दिन अनेक कलावोंसे वृद्धिंगत होने लगा है। मातापितावोंने पुत्रका जीवन सुसंस्कृत हो इस मुविचारसे जन्मसे ही आगमोक्त संस्कारोंसे संस्कृत किया जातकर्म संस्कार होनेके बाद शुभ मुहूर्तमें नामकरण संस्कार किया गया जिसमें इस पुत्राका नाम रामचंद्र रखा गया। बादमें चल कर्म, अक्षराभ्यास, पुस्तक ग्रहण आदि संस्कारोंसे संस्कृत कर सद्विद्याका अध्ययन कराया। रामचंद्रके हृश्य में बाल्यकालसे ही विनय, शील व सदाचार आदि भाव जागृत हुए थे जिसे देखकर लोग आश्चर्य व संतुष्ट होते थे। रामचंद्रको बाल्यावस्थामें ही साधु संयमियोंके दर्शनमें उत्कट इच्छा रहती थी, कोई साधु ऐनापुरमें आते तो यह बालक दौडकर उनकी वंदना लिये पहुंचता था। बाल्यकालसे ही इसके हृदयने धर्ममें अभिरुचि थी। सदा अपने सहधर्मियोंके साथमें तत्वचर्चा करनेमें ही समय इसका बीतता था।

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