________________ भूमिका बीकानेरके जैन इतिहास पर एक दृष्टि राजस्थान प्रान्तमें बीकानेर राज्य ( वर्तमान डिवीजन) का स्थान अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है ।इस राज्यका प्रधान अंश प्राचीन काल में जांगल देशके नामसे प्रसिद्ध रहा है। वीरवर बीकाजी के पूर्व इस राज्य के कई हिस्सों पर सांखले-परमारोंका, कुछ पर मोहिल-चौहानोंका, कुछ पर भाटी-यादवोंका एवं कुछ पर जोहिये व जाटोंका अधिकार था। बीकाजीने अपने पराक्रमसे उन सब पर विजय प्राप्त कर अपना शासन स्थापित किया और अपने नामसे इस बीकानेर राज्यको नोंव डाली। परवर्ती नरेशोंने भी इसे यथाशक्य बढ़ाया, जिसके फलस्वरूप इसका क्षेत्रफल 23317 वर्गमील तक पहुंचा। इसकी लंबाई चौड़ाई लगभग 208 मील है। बीकानेर राज्यके अनेक प्राचीन स्थान ऐतिहासिक दृष्टिसे बड़े महत्त्वपूर्ण हैं। सूरतगढ़ के निकटवर्ती रंगमहलसे कुछ पकी हुई मिट्टीकी मूर्तियां आदि प्राप्त हुई थीं। गतवर्ष सरस्वती और दृषद्वतीको घाटियोंमें खुदाई हुई थी जिससे प्राप्त वस्तुओंका प्रागैतिहासिक हड़प्पा कालीन संस्कृतिसे सिलसिला जोड़ा गया है। यहां अनेक प्रागैतिहासिक स्थान हैं जिनकी परिपूर्ण खुदाई होनेपर भारतीय प्राचीन संस्कृति पर महत्त्वपूर्ण प्रकाश पड़नेकी संभावना है। मध्यकालीन महत्त्वपूर्ण स्थान भी इस राज्यमें अनेक हैं, जिनमें बड़ोपल, पल्लू, भटनेर, नौहर, रिणी, द्रौणपुर, चरलू, रायसीसर, जांगलू, मोरखाणा, भादला, दद्रवा आदि उल्लेखनीय हैं। पलूसे प्राप्त जैन-सरस्वती मूर्तिद्वय अपने कला सौन्दर्यके लिए विश्व-विख्यात हैं। कोलायततीर्थका धार्मिक दृष्टिसे बड़ा माहात्म्य है / कार्तिक पूर्णिमाको यहाँ हिन्दू समाजका बहुत बड़ा मेला भरता है / गोगा मैड़ी आदिके मेले भी प्रसिद्ध हैं / देसनोककी करणी माता भी राजवंश एवं बहुजन मान्य है ! खाद्यान्न उत्पादनको दृष्टिसे बीकानेर डिवीजनका नहरी इलाका अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है / स्वर्गीय महाराजा गंगासिंह ने गंगानहर लाकर इस प्रदेशको बड़ा उपजाऊ बना दिया है। जो बीकानेर राज्य खाद्यान्नके लिये परमुखापेक्षी रहता था, आज लाखों मन खाद्यान्न उत्पन्न कर रहा है। इस प्रदेशके खनिज पदार्थ यद्यपि अभी तक विशेष प्रसिद्धि में नहीं आये, फिर भी पलाणकी कोयलेकी खान, दुलमेरोकी लाल पत्थरकी खान, जामसरका मीठा चूना, मुलतानी मिट्टी (मेट ) आदि अच्छी होती है। यहाँकी बालू आदिसे कांचके उद्योग भी विशेष पनप सकते हैं। आर्थिक दृष्टिसे भी यहाँके अधिवासी समन भारतमें ख्याति प्राप्त हैं। इस दृष्टिसे बीकानेर धनाढ्योंका देश माना जाता रहा है और अपनी प्रजाके लिये स्वर्गीय शासक गंगासिंहजीको "Aho Shrut Gyanam"