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परिशिष्ट ३ रक्तपद्मावतीकल्पः।
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ॐ ह्रीं क्ली पमे! पद्मावति! महापने । पद्महस्ते! पौरान क्षोभय क्षोभय, राज्ञः क्षोभय क्षोभय, प्रजाः क्षोभय क्षोभय, स्त्रीः क्षोभय क्षोभय, ह्रीं पद्मावति ! पायाः, पादुकापूजायां नमः ।
दिन ६३ त्रिषष्टिं यावत् रक्तपुष्प ६३ जापः । गुग्गुलगोली ६३ होमः, रक्ताअनमय्यां कुङ्कुमलिखितायां वा पद्मावतीमूतों बृहस्पतिवारेवारे घृत-दुग्ध-शर्करा-द्राक्षाअक्षताः पञ्चाहुतयो देयाः ।।
रक्तपद्मावतीपूजनविधिःपूग ४०, पत्र ४००, नालिकेर ४०, लाडु ४००, सितपत्र नवग्रहापात्री फूल १००, खाजा ४००, सुहाली ३२०, पञ्चधारलापसी माणा ५, द्राक्षा शेर १०, खारेक सेर ५, अखोड सेर १०, वारसोल ४००, साकरलिंगा ६४, टोपरां ६४, खांड सेर ५, केशर टांक ८, कर्पूर ग. २, कस्तूरी ग. १ गोरोचन ग. ३, सुखड सेर १०, रक्तकृष्ण सेला २, आम्बादन पद्मावतीनी मूर्ति सुवर्णमय, जिनमुद्रा, दक्षिणा ६४, भाजन १ सुवर्णमय, फूल ९, शलाका रूप्यमय १, नव नैवेद्यानि पक्वान्नमयानि. ___ खाजां २१, खाजलां २१, लाडु २१, दहिथरा २१, सांकुली २१, मांडी २१, मरुकी २१, घूघरा २१, वांकुची २१,
नांदुलिया माणा २, नैवेद्यानि, पीचु माणा २, बाकुला सेर २१, कूर सेर २१, घूजा सेर २१, पूउली सेर २१, घेवर २१, वटक २१, करंबउ इति ।
कूपोदक घट १, उभयतटनी वेलू, दर्भ समूलु, कोरीबली
चउला सेर १, चोखा सेर १, झाला सेर १, चणा सेर १, जव सेर १, तिल सेर १, जुगंधरी सेर १, मुद्ग सेर १, सप्त धान्यानि ।
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