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भगवतीस्ने टीका-'कइ ण भंते ! जुम्मा पन्नत्ता' कति खलु भदन्त । युग्माः प्रज्ञप्ताः । 'जुम्मत्ति' संज्ञाशब्दोऽयं राशिवोधकः, ततश्च-हे भदन्त ! कतिराशयः प्रज्ञप्ता इति प्रश्नः ? - भगवानाह-'गोयमा' इत्यादि । गोयमा' हे गौतम ! 'चत्तारि जुम्मा पन्नत्ता' चत्वारो युग्मा: (राशयः) प्रज्ञप्ताः । 'तं जहा' तद्यथा-'कडजुम्मे जार' कलिओगे' कृतयुग्मो यावत् कल्योजः कृतयुग्म त्र्योज-द्वापरयुग्मक्ल्योजनामका चत्वारो राशयो भवन्तीति । अत्र यावत्पदेन व्योज द्वापरयुग्मयोर्ग्रहणम् । पुनः प्रश्न यति-से केणटे णं भंते ! एवं बुच्चइ चत्तारि जुम्मा पन्नत्ता कडजुम्मे जाव कलिओगे' तत्केनायन भदन्त । एवमुच्यते चत्वारो युग्माः, प्रज्ञप्ताः कृतयुग्मो यावत् कल्योजः ? ज्योजद्वापरयुग्मयो वित्पदेन संग्रह इति प्रश्नः भगवानाह-एवं जहा' इत्यादि । 'एवं जहा-अट्ठारसमसए चउत्थे उद्देसए तहेव' एवं यथा-अष्टा
टीकार्थ-हे दीनबन्धू भदन्त ! युग्म कितने प्रकार के कहे गये हैं ? 'जुम्म' युग्म यह संज्ञावाचक शब्द है और 'राशि' अर्थका बोधक है। इस प्रकार 'रशियां' कितनी कही गई हैं ऐसा यह प्रश्न गौतमस्वामी ने, प्रभुश्री से पूछा है । इसके उत्तर में प्रभुश्री कहते हैं-'गोयमा' हे गौतम! 'चत्तारि जुम्मा पन्नत्ता' राशियां चार प्रकार की कही गई हैं। 'तं जहा' जैसे-'कडजुम्मे जाव कलिओगे' कृतयुग्म यावत् कल्योज यहां यावत् शब्द से त्र्योज और द्वापरयुग्म इन दो राशियों का ग्रहण हुआ है। इस प्रकार कृतयुग्म, योज द्वापरयुग्म और कल्योज ये चार राशियां हैं।
अब श्री गौतमस्वामी पुनः प्रभुश्री से ऐसा पूछते हैं-'से केणढेणं भंते ! एवं वुच्चह चसारि जुम्ना पण्णसा' हे भदन्त ! ऐसा आप किस कारण से कहते हैं कि कृतयुग्म आदि चारि राशियां कही गई हैं। इसके उत्तर में
साथ-३ नमधू भगवन् युग्म 21 २ना मुद्या छ ? 'जुम्म'ચુમ આ સંજ્ઞાવાચક શબ્દ છે. અને રાશી અર્થનો બોધ કરાવે છે આ રીતે રાશિયો કેટલી છે? એ રીતનો આ પ્રશ્ન શ્રી ગૌતમસ્વામીએ પ્રભુશ્રીને પૂછે છે मा प्रश्नाना उत्तरमा प्रभु श्री गीतमाभीने ४ छ -'गोयमा ! ३ गौतम ! 'चत्तारि जुम्मा पन्नत्ता' राशियो यार प्ररनी ही छे. 'त जहा' ते मा प्रभाव है. 'कडजुम्मे जाव कलिओगे' कृतयुग्म यावत् ४क्ष्या महायां यावत् २०४या વ્યાજ અને દ્વાપર યુગ્મ આ બે રાશિ ગ્રહણ કરાઈ છે. આ રીતે કૃતયુમ, વ્યાજ દ્વાપરયુગ્મ અને કલ્યાજ આ ચાર રાશિ કહી છે. __ श्री गौतभस्वामी शथी प्रभुश्रीन से पूछे छे है-'से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ चत्तारि जुम्मा पन्नत्ता' 8 समपन् मा५ मे ॥ ४॥२४थी ४३' છે? કે કૃતયુગ્મ વિગેરે ચાર રાશિ કહેલ છે? આ પ્રશ્નના ઉત્તરમાં પ્રભુશ્રી