Book Title: Bhagwati Sutra Part 15
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

View full book text
Previous | Next

Page 901
________________ प्रमैयचन्द्रिका टीका श०२५ उ.४२०११ पुद्गलानां कृतयुग्मादित्वम् अथ संप्रति - बहुवचनमाश्रित्य परमाणुपुद्गलानां समयस्थितिमाह'परमाणुपोग्गलाण भते' इत्यादि, 'परमाणुपोग्गला गं भंते' हे भदन्त ! परमाणुपुद्गलाः किं कडजुम्मसमयष्टिया पुच्छा' कि कृतयुग्मसमयस्थितिकाः भवन्ति ? कि योजसमयस्थितिकाः किं द्वापरयुग्मसमयस्थितिकाः भवन्ति ? किं कल्पोजसमयस्थितिका भवन्ति ? इति पृच्छया गम्यते । भगवानाह-गोयमा' . हे गौतम ! 'ओघादेसेणं सिय कडजुम्मसमयहिइया जाव सिय कलिभोगसमय-' हिइया' सामान्यतो भननया कदाचित कृतयुग्मसमयस्थिंतिकाः, यावत्पदेन कदाचित्-'योजसमयस्थितिकाः, कदाचिद् द्वापरयुग्मसमयस्थितिकाः, कदाचित् कल्योजसमयस्थितिकाः भवन्तीति । 'विहाणादेसेणं' 'विधान देशेन कहजुम्मसमयहोता है । अव बहुवचन को लेकर परमाणु पुद्गलों की समयस्थिति को कहते हैं-इस में गौतमने भगवान से ऐसा पूछा है-'परमाणुपोग्गलाणं भंते' हे भदन्त ! अनेक परमाणुपुद्गल 'किं कंडजुम्मसमयहिया पुच्छा' क्या कृतयुग्मसमय की स्थितिवाले होते हैं ?. अथवा क्या ज्योज समय की स्थितिवाले होते हैं ? क्या द्वापरयुग्मलय की स्थितिवाले होते हैं ? अथवा कल्योजसमय की स्थितिवाले होते हैं ? ये सब प्रश्न पृच्छा शब्द से ग्रहण किये गये हैं। इसके उत्तर में भगवान् फरमाते हैं कि . हे गौतम ! 'ओघादेसेणं सिय कडजुम्मसमयटिया जाव सिय कलि. ओगसमयहिहया' ये अनेक परमाणु पुद्गल ओघादेश सामान्य-से .. भजना को लेकर कदाचित् कृतयुग्मसमय की स्थितिवाले होते हैं । यावत्पदसे कदाचित् व्योज समय की स्थितिवाले, कदाचित् द्वापरयुग्मसमय की स्थितिवाले, कदाचित् कल्योज समय की स्थितिवाले होते હોય છે. હવે શ્રી ગૌતમસ્વામી બહુવચનને આશ્રય કરીને પરમાણુ યુદ્ધની સમય સ્થિતિ બતાવે છે. આમાં શ્રી ગૌતમસ્વામીએ પ્રભુશ્રીને એવું પૂછયું. छपरमाणुपोगला णं भंते'!' सन् गन ५२मा पुगतो किं काहजुम्मसमयद्विइया पुच्छा' शुकृतयुगम सभयनी स्थिति डाय ? અથવા એજ સમયની સ્થિતિવાળા હોય છે? અથવા દ્વાપરયુગ્મ સમયની" સ્થિતિવાળા હોય છે? અથવા કાજ સમયની સ્થિતિવાળા હોય છે ? આ प्रशन उत्तरमा प्रभुश्री ४३ छ8-3 गौतम! 'ओघादेसेणं सिय' कडजुम्मसमयडिया जाव सिय कलिंगसंमयद्विइयामा भने परमाणु क्षमता આઘારૈશ-સામાન્યપણુથી ભજનાને લીધે કઈવાર કૃતયુગ્મસમયની સ્થિતિ- ' વાળ, હાય, છેઅહિયાં યાવતપદથી કેાઈવાર જ, સમયની સ્થિતિવાળા હોય છે. કેઈવાર દ્વાપરયુગ્મ સમયની સ્થિતિવાળા હોય છે. અને કઈવાર

Loading...

Page Navigation
1 ... 899 900 901 902 903 904 905 906 907 908 909 910 911 912 913 914 915 916 917 918 919 920 921 922 923 924 925 926 927 928 929 930 931 932 933 934 935 936 937 938 939 940 941 942 943 944 945 946 947 948 949 950 951 952 953 954 955 956 957 958 959 960 961 962 963 964 965 966 967 968 969 970 971 972