Book Title: Bhagwati Sutra Part 15
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 948
________________ ९३० भगवतीea तरम् | 'सध्या कालओ केवच्चिर०) सर्वेजाः कालतः कियच्चिरं भवन्ति 'सम्बद्धं' साम सर्वकालमित्यर्थः । 'निरेया कालओ के वच्चिरं०' निरेजाः - कम्पनरहिताः द्विपदेशिकाः कालतः कियच्चिर भवन्तीति प्रश्नः । 'सम्बद्धं' सर्वादाम् - सर्वकालं यावदित्युत्तरस् । ' एवं जान अनंतपएसिया' एवं द्विपदेशिकवदेव कालतः सर्वकालम् अनन्तमदेशिका अपि निरेजाः सर्वकालं भवन्तीति भावः । 'परमाणुषोग्गलस्सणं भंते ! सव्वैयरस के वइयकालं अंतरं होई' परमाणुपुद्गलस्य खलु भदन्त ! सर्वे जस्य कियन्तं कालम् अन्तरं व्यवधाने भवतीति प्रश्नः । भगवानाह - 'गोयमा' हे गौतम ! 'मैं कंपन सर्वकाल तक बना रहता है 'सव्वैया कालओ के चच्चिरं ० ' हे भदन्त । द्विमदेशिक स्कंध फालसे कितने समय तक सर्वेज रहते हैं ? 'गोमा' हे गौतम 'सच्वद्धं' सदा काल तक सर्वतः सकप बना रहता है 'fat कालओ केच्चिरं०' हे भदन्त । द्विप्रदेशिक रकंधों में कितने 'समय तक कंपन रहित अवस्था रहती है ? इस गौतम के प्रश्न के उत्तर में प्रभुश्री कहते हैं- "संबद्ध" हे गौतम । द्विप्रदेशिक स्कन्धों में कंपन रहित अवस्था सदा काल रहती है ! "एवं जाव अनंत एसिया' इसी प्रकार कालकी अपेक्षा यावत् अनन्त प्रदेशिक स्कन्ध भी कंपन रहित अवस्था में सदा काल बने रहते हैं । 'परमाणुपोग्गलस्स णं भंते ! सव्वेयस्स केवइयकालं अंतरं होह' गौतम स्वामी ने इस सूत्र द्वारा प्रभुश्री से ऐसा पूछा है है भदन्त ! सर्वात्मना सकंप परमाणु पुद्गल का कितने काल का अन्तर होता ये प्रदेशावाजा स्टु'धना उद्देशमां सर्वाण सुधी उंपन रहे है. 'सव्वेया कालभो केवच्चिर' हे भगवन् मे प्रदेशवाना २४ घो अजनी अपेक्षाथी डेंटला ठाण सुधी सर्वेन रहे छे ? उत्तरमा अनुश्री छे - 'गोयमा' हे गौतम ! 'सव्वद्ध” सहाजण सर्वत सभ्य मन्या रहे छे. 'निरेया कलओ केवच्चिर होइ' ભગવત્ એ પ્રદેશવાળા સ્મ્રુધામાં કેટલા સમય સુધી કંપન વિનાની અવસ્થા २हे छे? मा प्रश्ननां उत्तरमा प्रभुश्री गौतमस्वामी ने उड़े छे 'सव्वद्ध’ હું ગૌતમ એ પ્રદેશેાવાળા સ્કંધામાં સદાકાળ કંપન વિનાની અવસ્થા રહે છે. ' एवं ' जाव अणतपएसिया' मेन प्रमाणे भजनी अपेक्षाथी यावत् અન ત પ્રદેશાવાળા સ્કંધા પણુ સદાકાળ કંપન વિનાની અવસ્થામાં રહે છે. " परमाणुपोग्गलस्य णं भते ! सव्वेयस्स केवइयकाल' अंतर होइ' गौतमस्वाभीमे આ સૂત્રપાઠદ્વારા પ્રભુશ્રી ને એવું પૂછ્યું છે કે-હે ભગવન્ સર્વાત્મના સક પ પુદ્ગલનું અંતર કેટ્લા કાળ સુધીનું હોય છે? આ પ્રશ્નનાં ઉત્તરમાં પ્રભુ

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