Book Title: Bhagwati Sutra Part 08
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

View full book text
Previous | Next

Page 598
________________ भगवतीसूत्र क्वमित्ता पंचहि अणगारसएहि वहिया जणश्यविहार विहरइ' प्रतिनिष्क्रम्यवहुशालकात् चैत्या निर्गत्य, पञ्चभिरनगारशतैः सार्द्धम् बहिः जनपदविहारं बिहरति । तेणं कालेणं तेणं समएगं सावत्यो णामं नपरी होत्या, वणी , कोहए चेहए, वण्णभो, जाव वणसंडस्स' तस्मिन् काले, तरिमन् समये श्रावस्ती नाम नगरी आसीत्, वर्ण :, अस्पाः वर्णनम् औपरातिके चम्पानगरीवर्णनवद् बोध्यम् , कोष्ठकं नाम चैत्यम् उद्यानम् आसीत् , वर्णकः, अस्य वर्णनम् औपपातिके पूर्णभद्रचैत्यवद् बोध्यम्, तद्वर्णनावधिमाह-यावत् वनखण्डस्य वनखण्डपर्यन्तं तद् वर्णनभव सेयमिति भावः । तेणं कालेणं तेण समएणं चम्पा णामं नयरी होत्था, वण्गओ, पुगभदे चेहए, वण्णाओ जाव पुढविसिलापट्टओ ' तस्मिन् काले तस्मिन् समये चम्पानाम नगरी आसीत् , वर्गकः, अत्याचम्पाया नगर्याः वर्णनम् अनुसार आज्ञा दे दी है 'पडिनिश्खमिता पंवहिं अणगारसएहि मद्धिं बहिया जणवयविहारं विहरह' निकल करके वे पांचप्सी अनगारोंके साथ बाहर देशों में विहार करने लगे 'तेणं कालेणं तेणं समएणं साव. स्थीणामं नयरी होत्था वाओ कोहए चेइए वण्णओ जाव वणसंडस्स' उस काल और उस समयमें श्रावस्ती नामकी नगरी थी, इसका वर्णन औरपातिक सूत्र में वर्णित चंपा नगरीके वर्णनकी तरहसे जानना चाहिये । वहां एक कोष्ठ कलामका उद्यान था, इसका भी वर्णन औप. पातिक सूत्र में वर्णित पूर्णभद्र की तरह जानना चाहिये परन्तु यह वर्णन वनखण्ड नकही लेना चाहिये तेणं कालेणं तेण समएणं चंपा नाम नयरी होत्था वणओ पुण्णभद्दे चेहए-वण्णो जाय पुढवीसिलापओ' उस काल और उस समय में चंपा नामकी नगरी थी, इसका Gधानमाथी नीजी ५३या. “ पडिनिस्खमित्ता पंचहि अणगारसरहिं सद्धि' बहिया जणवयविहार विहरइ " त्यांथी नी जान तेभरे ५०० असारे। साथ पारना प्रदेशमा वि.२ ४२१॥ भाउया. " तेणं कालेणं तेणं समएणं सावत्थी णाम नयरी होत्था वण्णओ, कोदए चेइए-वण्णओं जाव वणसंहस्स" तेणे અને તે સમયે શ્રાવસ્તી નામે નગરી હતી. પપાતિક સૂત્રમાં જેવું ચંપા નગરીનું વર્ણન કરેલું છે, એવું જ શ્રાવસ્તી નગરીનું વર્ણન પણ સમજવું. તે નગરીમાં કેષ્ટક નામે એક ઉદ્યાન હતું ઔપપ તિક સૂત્રમાં જેવું પૂર્ણભદ્ર ચિત્યનું વર્ણન કરેલું છે, એવું જ આ કોષ્ટક ચૈત્યનું વર્ણન પણ सभा. ५२न्तु ते वन वन पर्यन्त अय ४२७. " तेण कालेण सेण समएण चपा णामं नयरी होत्था-वण्णओ, पुण्णभदे चेहए-वण्णओ जाव पुढविसिलापडओ" ते आणे भने । समये या नामनी मे नगरी ती.

Loading...

Page Navigation
1 ... 596 597 598 599 600 601 602 603 604 605 606 607 608 609 610 611 612 613 614 615 616 617 618 619 620 621 622 623 624 625 626 627 628 629 630 631 632 633 634 635 636 637 638 639 640 641 642 643 644 645 646 647 648 649 650 651 652 653 654 655 656 657 658 659 660 661 662 663 664 665 666 667 668 669 670 671 672 673 674 675 676 677 678 679 680 681 682 683 684 685 686 687 688 689 690 691 692