Book Title: Bhagwati Sutra Part 08
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 653
________________ प्रमेयचद्रि-काटीका श०९उ०३३सू०१६ देवकिल्लिपिकोदनिरूपणम् . ६३५ विरसाहारे, अंताहारे, पंताहारे, लूहाहारे, तुच्छाहारे' हे भदन्त ! जमालिः खलु अन गारः, अरसाहारः विरसाहारः अन्ताहारः प्रान्ताहारः रूक्षाहारा, तुच्छाहारः, अथ प्रकारान्तरेण जमालिमेव पुनर्विशिनष्टि-'अरसजीवी, विरसजीवी, जाव तुच्छजीवी, उपसंतजीबी, पसंतजीवी, विवित्तजीवी ? ' अरसजीवी, विरसजीवी यावत्अन्तजीवी, प्रान्तजीवी, रूक्षजीवी, तुच्छजीवी, उपशान्तजीवी, एवं प्रशान्तजीवी, विविक्तजीवी-हळ्यादि सम्पर्कवर्जनतः विविक्ते एकान्ते वा जीवितु शीलमस्येति विविक्तजीवी जमालि एतादृशः किमासीत् । इति प्रश्नः भगवानाह-हता, गोयमा ! जमाली णं अणगारे अरसाहारे विरसाहारे जाब विवित्तजीवी' हे ''जमाली णं भंते ! अणगारे अरसाहारे बिरसाहारे, अलाहारे, पंता. हारे, लूहाहारे, तुच्छाहारे' हे भदन्त' जमालि अनगार रसरहित आहार करता थो, विरस आहार करता था, अन्त आहार करता था, प्रान्त आहार करता था, रूक्ष आहार करता था एवं तुच्छ आहार करता था इस कारण क्या वह अरमजीवी, विरसजीवी, अन्तजीवी. प्रान्तजीवी, रूक्षजीवी, तुच्छजीवी, उपशान्तजीची, प्रशान्तजीवी एवं विविक्तजीवी-स्न्यादिसंपर्क से रहित होने के कारण एकान्त में जीवित रहने का जिसका स्वभाव है-ऐसा एकान्तजीवी था ? इसके उत्तर में प्रभु कहते हैं-' हता, गोयमा ' जमाली णं अणगारे अरसाहारे, विरसाहारे, जाव विविक्तजीवी ' हां गौतम ! वह जमालि अलगार अर. साहारवाला, विरसाहारवाला, अन्ताहारवाला, प्रान्ताहारबालो, रूक्षा गौतम स्वामीना प्रश्न-“ जमाली णं भंते ! अणगारे अरसाहारे, विरसाहारे, अताहारे, पताहारे, लूहाहारे, तुच्छाहारे " महन्त ! मादी અણગાર રસરહિત આહાર કરતા હતા, વિરસ આહાર કરતા હતા, અન્ત આહાર કરતા હતા, પ્રાન્ત આહાર કરતા હતા, રૂક્ષ (ભૂખે-ઘી આદિથી રહિત) આહાર કરતા હતા, અને તુચ્છ આહાર કરતા હતા, અને તે કારણે શું તેઓ અરસજીવી, વિરસજીવી, અન્તજીવી, પ્રાન્તજીવી, રૂક્ષ જીવી, તુચ્છજીવી ઉપશાતજવી, પ્રશાન્તજીવી અને વિવક્તા જીવી–એકતજીવી ( સ્ત્રી આદિના સંપર્કથી રહિત એવું એકાત જીવન જીવનાર) પવિત્ર આત્મા હતા ખરાં ? महावीर प्रसुन उत्तर-हता, गोयमा ! जमाली गं अणगारे अर. साहारे, विरसाहारे, जाव विविक्तजीवी" &, गौतम ! मादी मार અરસ આહાર કરનારા, વિરસ આહાર કરનારા, અન્ત આહાર કરનારા; પ્રા

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