Book Title: Bhagwati Sutra Part 08
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 657
________________ प्रमेयचन्द्रिकाली.०९ २०३३सू.१७मालेदेवभवान्तरसिद्धिगतिपयन्तवणनम ६९ :: छाया-जमालिः खलु भदन्त ! देनस्तस्माद् देवलोकात् आयुःक्षयेण यावद कुत्र उपपत्स्यते १ गौतम !, चत्वारि, पञ्च तिर्यग्योनिकमनुष्यदेवभवग्रहणानि संसारम् अनुपर्यटय ततः पश्चात् सेत्स्यते, यावत् अन्तं करिष्यति, तदेवं भदन्त ! तदेवं भदन्त ! इति ।। सु० १७ ॥ जमालिः समाप्तः ___टीका-जमारनगारस्य वक्तव्यतामुपसंहरन् गौतमः पृच्छति-जमालीण मंते' इत्यादि, 'जमाली ण भंते देखें ताओ देवलोयाश्रो, आउवखएणं जाव कहि उबवज्जिहिइ ३ ' हे भदन्त ! जमालिः खलु देवस्तस्मात् त्रयोदशसागरोपमस्थितिकात् लान्तकात् देवलोकात् आयु क्षयेण यावत् भवक्षयेण, स्थितिक्षयेण कुत्र उपपत्स्य से ? उत्पत्ति लप्स्यते ? भगवानाह-' गोयमा ! चत्तारि पंचतिरिक्खजोणियमणुस्सदेवाभवग्गहणाई संसारं अणुपरियट्टित्ता तो पन्छा सिज्झिहिद, जाव अंतं काहेइ ' हे गौतम ! चत्वारि पञ्च वा तिर्यग्योनिकमनुष्यदेवभवग्रहणानि यावत् संसारम् अनुपर्यटथ-परिभ्रस्य ततः पश्चात् तदनन्तरं सेन्स्यते-सिद्धि - 'जमाली संते ! देवे ताओ देवलोयाओ' इत्यादि । : टीकाथ-जमालि अनगार की वक्तव्यता का उपसंहार करते हुए गौतम प्रभु से पूछते हैं 'जमाली णं भंते ! देवे ताओ देवलोयाओ भाउक्खएणं जान कहिं उववज्जिहिइ ' हे अदन्त ! जमालि अनगार तेरह १३ सागरोपम की स्थितिवाले उस लान्तक देवलोक से अपनी आयु के क्षय होने के बाद, यावत्-भवक्षय के बाद, स्थितिक्षय के याद कहां उत्पन्न होगा ? उत्तर में प्रभु कहते हैं-'गोयमा ' हे गौतम! 'चत्तारि पंच तिरिक्खजोणियं अणुस्ल देवभवरगहणाई.संलारं अणुपरियहित्ता तओ पच्छा सिन्झिहिह, जाच अंतं काहिइ' चार या “जमाली णं भंते ! देवे ताभो देवलोयाओ" त्या: ટીકાર્થ-જમાલી અણગારની વક્તવ્યતાને ઉપસંહાર કરતાં ગૌતમ स्वामी महावीर प्रसुन मा ४२ प्रश्न पूछे छ-" जमाली णं भते ! देवेताओ देवलोयाओ आउखएणं जाव कहि उक्वज्जिहिइ" 3 महन्त ! १३ સાગરેપમની આયુષ્ય સ્થિતિવાળા તે લાન્તક દેવલોકમાંથી આયુને ક્ષય થયા બાદ, ભવનો ક્ષય થયા બાદ અને સ્થિતિને ક્ષય થયા બાદ, જમાલી અણગાર ત્યાંથી ચ્યવને ક્યાં ઉત્પન્ન થશે ? महावीर प्रभुने। 6त्त२--" गोयमा ! ७ गौतम ! " चत्तारि पच तिरिक्ख जोणिय' मगुस्सदेवभवग्गहणाई सघार अणुपरियट्टित्ता तओ पच्छा ..

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