Book Title: Bhagwati Sutra Part 08
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 654
________________ भगवतीसूत्रे - सत्यमेव जमालि: खलु अनगारः अरसाहारी, विरसाहारो यावत् अन्ताहारः मान्ताहारः रूक्षाहारः, तुच्छाहारः, अथ च अरसजीवी, विरसजीवी, अन्तजीवी प्रान्तजीवी, रूक्षजीवी तुच्छजीवी उपशान्तजीवी, प्रशान्तजीवी, विविक्तजीवी आसीत्, गौतमः पृच्छति 'जइ णं भंते । जमाली अणगारे अरसाहारे रिसाहारे जा वित्तिजीवी ?' हे भदन्त । यदि खलु जमालिरनगारः अरसाहारः, विरसाहारः, यावत् विविक्तजीवी, आसीत् तर्हि - ' कम्हाणं भंते ! जमाली अणगारे कालमासे काले किच्चा लेतए कप्पे तेरससागरोवमहितिएस anorary देवे देवकिव्विसियत्ताए उवचन्ने ? ' हे भदन्त ! कस्मात् खलु कारणात् जमालिरनगारः कालमासे कालं कृला लान्तके कल्पे त्रयोदश सागरोपमस्थितिकेषु देवकिल्विकेषु देवेषु देवकिल्विपिकतया उपपन्नः ?, भगहारवाला, तुच्छाहारवाला था- इस कारण वह अरसजीवी, विरसजीवी, अन्तजीवी, प्रान्तजीवी, रुक्षजीवी, तुच्छजीबी, उपशान्तजीवी, प्रशान्तजीवी और विविक्तजीवी था। अब गौतम प्रभु से ऐसा पूछते हैं- ' जणं भंते । जमाली अणगारे अरसाहारे विरसाहारे जाव विविप्तजीवी' हे भदन्त ! यदि जमालि अनगार अरसआहार करता था, विरस आहार करता था - यावत् वह विविक्त जीवी था, तो फिर कम्हाणं भंते ! जमाली अणगारे कालमासे कालं किच्चा लंतए कप्पे तेरससागरोवमसि देवकिव्विसिएस देवे देवकिव्विसियत्ताए उववन्ने' वह जमालि अनगार किस कारण से हे भदन्त ! काल अवसर काल करके लान्तक कल्प में १३ सागरोपम की स्थितिवाले taneous देवों में किल्विषक देव की पर्याय से उत्पन्न हुआ ! 6 ६३६ આહાર કરનારા, રૂક્ષ આહાર કરનારા, અને તુચ્છ આહાર કરનારા હતા. તે કારણે તેઓ આરસજીવી, અન્તજીવી, પ્રાન્તજીવી રૂક્ષજીત્રી, તુચ્છજીલી, ઉપ શાન્તજીવી, પ્રશાન્તજીવી અને એકાન્તજીવી હતા. गौतम स्वामीना अश्न -" जणं भंते ! जमाली अणगारे अरसाहारे, रिसाहारे जाव विवित्तजीवी " हे लहन्त ! भावी अथुगार भरसाहारी હતા, વિરસાહારી હતા અને પૂર્વોક્ત વિવિક્તજીવી (એકાન્તજીવી) પન્તના ગુણૈાથી યુક્ત હતા, તે છતાં પણુ " कम्हाणं भंते ! जमाली अणगारे कालमा से काल किया लतए कप्पे तेरससागरोवमट्टिइएस देवकिव्विसिएस देवेसु देवकिव्विसियत्ताए उववन्ने ?" तेथे अजनो अवसर આવતા કાળ કરીને લાન્તક કલ્પમાં ૧૩ સાગરોપમની સ્થિતિવાળા કિલ્પિષિક દેવામાં કિલ્બિષિક દેવની પર્યાયે શા કારણે ઉત્પન્ન થયા છે ?

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