________________
अमेयचन्द्रिका टी० श० ८ उ० ९ सू० ३ प्रयोगबन्धनिरूपणम् स्पद्यते, जघन्येन अत्तर्मुहूर्तम् , उत्कर्षेण संख्येयं कालम् , स एम देशसंहननवन्धः, मथ कः स सर्वसंहननबन्धः ? सर्वसंहननवन्धः स खलु क्षीरोदकादीनाम् , स एप सर्वसंहननबन्धः, स एष संहननवन्धः, स एष आलीनवन्धः । अथ कः स शरीरएवं स्यन्दमानी-पुरुष प्रमाणवाहनविशेप, तवा कडाही, करछी, आसन, शयन, स्तंभ, भाण्ड, पात्र, तथा और भी नानाप्रकार के उपकरणादि पदार्थों का जो संबंध होता है वह देशसंहननबंध है । (जहण्णेणं अंतोमुहतं उक्कोसेणं संखेज्जं कालं) यह बंध जघन्य से एक अन्तर्मुहर्त तक रहता है और उत्कृष्ट से संख्यातकालतक रहता है। (से तं देससाइणणाधे ) इस प्रकार से यह देशसंहननबंध का स्वरूप है।( से कि संसञ्चसाहणाधंधे) हे भदन्त ! सर्वसंहननबंध का क्या स्वरूप है? (सन्चसाहणणाचंधे-से णं खीरोदगमाइणं से त्तं सव्वसाहणणावंधे) हे गौतम ! दूध और पानी आदि पदार्थों का जो बंध है वह सर्वसंहनन बम है। यही सर्वसंहननबंध का स्वरूप है। इस प्रकार से यहां तक (से तं-साहणणाबंधे, से तं अल्लियावणबंचे) सादि सपर्यवसित बंधके चार प्रकारों में से द्वितीय प्रकाररूप आलीनबंध का कथन संहननबंध का कथन करने पर हो जाता है। (से कितं सरीरबंधे) हे भदन्त ! सादि सपर्यवसितबंध का जो तृतीय भेद शरीरबंध है उसका क्या (40), शिम :( laमी), श्य-माहिती (पुरुष प्रभार पाउन विशेष), तावडे, ४ाही, ४७छी, मासन, शयन, स्तन, His, -पत्र, -तथा भी विविध પ્રકારના ઉપકરણદિ પદાર્થોને જે બંધ થાય છે, તે બંધને દેશ સંહનન બંધ
छ. (जहण्णेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं संखेज कालं ) ॥ सनन मय ઓછામાં ઓછો એક અંતર્મુહૂર્ત સુધી અને વધારેમાં વધારે સંખ્યાતકાળ संधी २३ छे. (से न देससाहणणाब'धे)प्रा२नुहेश सनन धनु २१३५ छे. (से किं तं सव्वसाहणणाधे ?) महन्त ! स सडनन म धनु ११३५ छ १ ( सव्वसाहणणा बधे-से णं खीरोदगमाईणं से 'त्त सव्वसाहणणा
घे) गौतम! मन ५ मा पाथाना मध थाय छेते બંધનું નામ સર્વસંહનન બંધ છે. આ પ્રકારનું સંહનન બંધનું સ્વરૂપ છે. 24. मी सुधीभ (से त साहणणा वधे, से त अल्लियावणबंधे) साहि સપર્યાવસિત બંધના ચાર પ્રકારમાંથી બીજા પ્રકાર રૂપ આલીન બંધનું કથનસંહનન બંધનું નિરૂપણ થઈ જવાથી પૂરું થાય છે.
(से कि त सरीरबंधे १) महन्त ! साह स५५ सितम'धन ત્રીજો શરીરબંધ નામને ભેદ છે, તેનું કેવું સ્વરૂપ છે?