Book Title: Bhagwati Sutra Part 07
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

View full book text
Previous | Next

Page 750
________________ ७३० भगवतीस्त्रे भदन्त ! कतिषु लेश्यासु भवति ? गौतम ! पढ्सु लेश्यासु भवति, तद्यथा-कृष्ण लेश्यायां यावत् शुक्ललेश्यायाम् । स खलु भदन्त ! कतिषु ज्ञानेषु भवति ? गौतम ! त्रिषु या, चतुषु वा भवति, त्रिषु भवन् आभिनियोधिकज्ञानश्रुतज्ञानावधिज्ञानेषु भवति, चतुर्पु भवन् आभिनिवोधिकज्ञान-श्रुतज्ञाना-वधिज्ञान-मनःपर्यवज्ञानेषु भवति । स खलु भदन्त ! किं सयोगी भवति, अयोगी भवति? एवं योगः, उपयोगः, और देखना है । ( से णं भंते ! कइ लेस्सासु होज्जा) हे भदन्त ! वह श्रुत्वा अवधिज्ञानी मनुष्य कितनी लेश्याओं में होता है ? (गोयमा) हे गौतम ! वह श्रुत्वा अवधिज्ञानी मनुष्य (छसु लेस्सासु होज्जा) छह लेश्याओं में होता है । (तं जहा) वे छह लेश्याएं इस प्रकार से हैं(कण्हलेस्साए जाव सुक्कलेस्साए) कृष्णलेश्या यावत् शुक्ललेश्या । (से णं भंते ! कइसु नाणेसु होज्जा) हे भदन्त ! वह श्रुत्वा अवधिज्ञानी कितने ज्ञानों में होता है ? (गोयमा) हे गौतम ! वह श्रुत्वा अवधिज्ञानी मनुष्य (तिसु चउसु वा होज्जा) तीन ज्ञानों में या चार ज्ञानों में होता है। (तिसु होज्जमाणे आभिणिबोहियनाण, सुयनाण, ओहिनाणेसु होज्जा) यदि वह तीन ज्ञानों में होता है-वे ज्ञान हैं आभिनियोधिक ज्ञान, श्रुतज्ञान और अवधिज्ञान (चउस्सु होज्जमाणे आभिणियोहियनाण, सुयनाण, ओहिनाण, मणपज्जवणेसु हाज्जा) और वह यदि चार ज्ञानों में होता है तो वे चार ज्ञान हैं-आभिनियोधिकज्ञान, श्रुतज्ञान, अवधिज्ञान और मनः पर्ययज्ञान (से णं भंते ! किं सजोगी होज्जा (से णं भंते ! कइलेस्सासु होज्जा ?) 3 महन्त ! ते श्रुत्वा अवधिज्ञानी भनुष्य सी श्यामापा जाय छ १ (गोयमा 1) गौतम (छसु लेस्सासु होज्जा-त जहा) ते नीय प्रभानी छो छ सश्यामावाणी डाय छे. (कपहलेस्साए जाव सुक्कलेस्साए) परश्याथी सधन शुसवेश्या पय-तनी ६ श्याम અહીં ગ્રહણ કરવી. (से णं भंते ! कइसु नाणेसु होज्जा १) BRed! ते श्रुत्वा अपधिज्ञानी मां ज्ञानाथी युद्धत खाय छ १ (गोयमा ! तिसु चउसु वा होज्जा) 3 गौतम ! ते त्र ज्ञानाथी अथवा या ज्ञानाथी युत डाय छे. (तिसु होज्जमाणे आभिणिबोहियनाण, सुयनाण, ओहिनाणेसु होजा) त्या भवधिज्ञानी ત્રણ જ્ઞાનવાળે હોય છે, તે તે આભિનિબંધિક જ્ઞાન, શ્રવજ્ઞાન અને અવધિज्ञानयी युत हाय छे. ( चउसु होज्जमाणे आभिणिबोहियनाण, सुयनाण, ओहिनाण, मणपज्जवनाणेसु होजा ) 'पY न त यार ज्ञानपाणी डाय छ, aa આભિનિબંધિક જ્ઞાન, શ્રતજ્ઞાન, અવધિજ્ઞાન અને મન:પર્યવ જ્ઞાનથી યુક્ત હોય

Loading...

Page Navigation
1 ... 748 749 750 751 752 753 754 755 756 757 758 759 760 761 762 763 764 765 766 767 768 769 770 771 772 773 774 775 776 777 778 779 780 781 782 783 784