Book Title: Bhagwati Sutra Part 07
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 707
________________ प्रमैयचन्द्रिका टी० श०९ ४०३१ सू० ३ अवधिशानिनो लेश्यादिनिरूपणम् ६८७ भवति, काययोगी भवति ? गौतम ! मनोयोगी वा भवति, वचोयोगी वा भवति, काययोगी वा भवति । स खलु भदन्त ! किं साकारोपयुक्तो भवति ? अनाकारोयुक्तो भवति ? गौतम ! साकारोपयुक्तो वा भवति, अनाकारोपयुक्तो वा भवति । स खलु भदन्त ! कतरस्मिन् सहनने भवति ? गौतम ! बज्रऋपभनाराचसंहनने भवति । स खलु भदन्त ! कतरस्मिन् संस्थाने भवति ? गौतम ! पण्णां संस्थानाजोगी होज्जा किं मणजोगी होज्जा, वइजोगी होज्जा. कायजोगी होज्जा) हे भदन्त ! यदि वह अवधिज्ञानी सजोगी-योगसहित होता है तो क्या वह मनोयोग सहित होता है ? या वचनयोगसहित होता है ? या काययोगसहित होता है ? (गोयमा) हे गौतम ! ( मणजोगी वा होज्जा, वइजोगी वा होज्जा, कायजोगी वा होज्जा) वह अवधिज्ञानी जीव मनो योगवाला भी होता है, वचनयोगवाला भी होता है और काययोगवाला भी होता है । ( ले णं भंते ! किं लागारोवउत्ते होज्जा आणागारोवउत्ते होज्जा ) हे भदन्त ! वह अवधिज्ञानी जीव साकार उपयोगवाला होता है या अनाकार उपयोगवाला होता है ? (गोथमा) हे गौतम ! वह अवधिज्ञानी जीव (सागारोवउत्त वा होज्जा, अणागारोवउत्ते का होज्जा) साकार उपयोगवाला भी होता है ओर अनाकार उपयोगवाला भी होता है। (से णं भंते ! कयरंमि संघयणे होज्जा) हे भदन्त ! वह अवधि ज्ञानी किस स हनन में होता है ? (गोयमा) हे गौतम! वह अवधिज्ञानी (वइरोसभनाराय संघयणे होज्जा) वज्रऋषभनाराच स हनन में (जइ सजोगी होज्जा किं मणजोगी होज्जा, बहजोगी होज्जो, कायजोगी होजा?) હે ભદન્ત ! જે તે અવધિજ્ઞાની સગી (એગ સહિત) હોય છે, તે શું તે મનગસહિત હોય છે, કે વચનગ સહિત હોય છે, કે કાગસહિત હોય छ १ (गोयमा !) गीतम ! (मणजोगी वा होज्जा, वइजोगी वा होज्जा, काय जोगी वा होज्जा) ते भवधिज्ञानी ७३ मनायोगाने पर डाय छ, पयन योगदाणे ५ डाय छ भने ४ाययोगवा पार जय छे ( से णं भते ! कि सागारोवउत्ते होज्जा अणागारोवउत्ते होज्जा ? ) : महन्त ! ते भवधिज्ञानी જીવ સાકાર ઉપગવાળો હોય છે કે અનાકાર ઉપગવાળો હોય છે? (गोयमा !) हे गौतम ! मवधिमानी ७१ ( सागरोवउत्ते वा होज्जा, अणा गारोवउत्ते वा होज्जा) २ १५येगवाणे ५Y डाय छे भने मना२ ७५. योगवा पाय छे ( से णं भंते ! कयर मि संघयणे होज्जा ?) 3 महन्त ! ते भवधिज्ञानी Biसननवाणे डाय छ ? (गोयमा ! वइरोसभनाराय संघयणे

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