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সুখরিজা o o o o ২ ভাবিহীময়ী এল ২৪ समयोनानि । औरालिकगरीस्वन्धान्तरं खलु भदन्त ! कालतः क्रियच्चिरं भवति ? गौतम ! सर्ववन्धान्तरं जघन्येन क्षुल्लकभवग्रहणं त्रिप्तमयोनम् , उत्कर्षेण त्रयस्त्रिंशत् सागरोपमानि पूर्वकोटिसमयाधिकानि, देशवन्धान्तरं जघन्येन एकं समयम् , सरीरं तेसिं देसबंधो जहण्णेणं एक्कं समयं उक्कोसेणं जा जस्स ठिई सा समयऊणा कायव्या) इसी तरह सर्वजीवोंका सर्वबंध काल एक समयका है
और देशबंधकाल जिनको वैक्रियशरीर नहीं है इनका जघन्य से तीन सनय कम क्षुल्लक भव ग्रहण पर्यन्त है और उत्कृष्ट से जिसकी जितनी आयुष्य स्थिति है उसमें से एक समय कमका है तथा जिनको वैक्रिय शरीर है उनके देशबंध का काल जघन्य से एक समय का है उत्कृष्ट से जिसकी जितनी आयुष्यस्थिति है उसमें से एक समय कम का है। (जाय मणुस्लाणं देसबंधे जहण्णेणं एक समयं, उक्कोसेणं तिन्निपलिओवमाई लमयऊणाई) यावत् मनुष्यों का देशबंध काल जघन्य से एक समयतक का और उत्कृष्ट से एक समय कम तीन पल्योपम तक का है। (ओरा. लियसरीरबंधंतरेण ते कालओ केवच्चिर होइ) हे भदन्त ! औदारिक शरीर के वध का अन्तराकाल की अपेक्षा कितना होता है ? (गोयमा) हे गौतम ! (सव्वबंधनरं जहण्णेणं खुड्डागं भवगहणं तिसमयऊण, उक्कोसेणं लेतीसं सागरोवमाई पुत्वकोडिसमयाहियाई, देसधंतरं जह भवगाहण तिसमयऊणं) से प्रभारी सर्व वानी माछामा माछ। देशमा क्षुदद ४२ता न्यून समयना छ (कोसेण जा जस्स ठिई सा समयणा कायव्वा, जे.सपुण अत्यिवेउब्वियसरीर तेसि देसबंधो जहण्णेणं एक समय उकोसेण जा जस्स ठिई सा समयऊणा कायबा) मने उत्कृष्ट (वधारमा पधारे) કાળ જેમની જેટલી આયુષ્ય સ્થિતિ છે તેના કરતાં એક એાછા સમયને છે. અને જેમને વૈકિય શરીર હોય છે તે જીવના દેશબંધને કાળ , ઓછામાં ઓછા એક સમયને છે, અને જેમની જેટલી આયુષ્યસ્થિતિ છે, તેના કરતાં એક ઓછા સમયને ઉત્કૃષ્ટ દેશબંધ કાળ હોય છે
(जाब मणुःखाण देसव'धे जहण्णे ण एकक सभयं, उस्कोसेण तिन्निपलि ओवमाई समऊगाइ ) यावत् मनुष्यानो देश ४ माछामा छ। यो સમય સુધી અને વધારેમાં વધારે ત્રણ પલ્યોપમ પ્રમાણ કરતાં એક ન્યૂન स५५ ५-तना छे. (आरालियसरीरबंध तरेण भंते ! कालओ केवच्चिर होइ ? ) से भडन्त ! मोरिs शरीर म धनु मत२ जनी अपेक्षा खाय छ १ ( गोयमा ! ) ॐ गौतम ! (सवबंध'तर जहणेण' खुडाग भव.. गहण, ति समरऊण, उक्कोसेण तेत्तीस सागरोवमाई पुषकोडिसमयहियाई