Book Title: Bhagavati Jod 01
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 368
________________ १८. तिण अवसर ईशाण नां, बह देव देवी तिणवार । एहवो विरतंत देखनै, कोप्या शीघ्र अपार ।। १६. ईशाण देविंद्र पै आयन, बे कर जोड़ तिवार। दश नख शिर आवर्त नै, करि अंजली नमस्कार ।। जय विजय एहवा शब्द थी, वधावी . बोलत। हे स्वामी! बलिचंचा तणां, बह देव देवी मति-भ्रत ।। २१. काल गया जाणी आपने, ईशाणेद्रपणे पेख । कोप्या शीघ्र ऊंतावला, जाव एकांते न्हाखी विशेख ।। २२. करी शरीर कदर्थना, आया जिण दिशि जाय। ईशाण-इंद्र सूण कोपियो, जाव मिसमिसे थाय ।। १८. तए णं ते ईसाणकप्पवासी बहवे वेमाणिया देवा य देवीओ य बलिचंचारायहाणि वत्थव्वएहि बहुहिं असुरकुमारेहि देवेहि देवीहि य तामलिस्स बालतवस्सिस्स सरीरयं हीलिज्जमाणं निदिज्जमाणं जाव आकढ़ विकड्ढेि कीरमाणं पासंति पासित्ता आसुरुत्ता १६. ...जेणेव ईसाणे देविदे देवराया तेणेव उवागच्छति उवागच्छित्ता करयलपरिग्गहियं दसनह सिरसावत्तं मत्थए अंजलि कट्ट २०. जएणं विजएणं वद्धावेंति वद्धावेत्ता एवं वयासी-एवं खलु देवाणुप्पिया ! बलिचंचा रायहाणिवत्थव्वया बहवे असुरकुमारा देवा य देवीओ य २१. देवाणुप्पिए कालगए जाणित्ता ईसाणे य कप्पे इंदत्ताए उववण्णे पासेत्ता आसुरुत्ता जाव एगंते एडेंति, एडेता २२. जामेव दिसि पाउन्भूया तामेव दिसि पडिगया। (श० ३।४६) तए णं ईसाणे देविदे...एवमट्ठे सोच्चा निसम्म आसु रुत्ते जाव मिसिमिसेमाणे २३. तत्थेव सयणिज्जवरगए तिवलियं भिडि निडाले साहटु बलिचंचारायहाणि अहे सपक्खिं सपडिदिसि समभिलोएइ। (श० ३१४७) २४. तए णं सा बलिचंचा रायहाणी...दिव्बप्पभावेणं इंगा लब्भूया मुम्मुरब्भूया छारियभूया तत्तकवेल्लकब्भूया तत्ता समजोइन्भूया जाया यावि होत्था। (श० ३।४८) २३. ते सेज्या ऊपर बेठौ थको, विवलि भृकुटी निलाड। बलिचंचा राजधानी प्रत, चौफेर जोवै तिवार ।। २४. बलिचंचा तिण अवसरे, थइ अंगार समान। अग्नि नां कणिया सारिखी, भोभर सरिखी जान ।। २५. तप्त कवेलु सारिखी, अति ताती अग्नि सरीस । एहवी बलिचचा थई, देव प्रभावे जगीस ।। अंक इकतीस न देश ए, ए तेपनमीं ढाल । भिक्ख भारीमाल ऋषराय थी, 'जय-जश' हरष विशाल ।। २६. ढाल:५४ दहा १. बहु देव देवी वलिचंचा तणां, अग्नि सरीखी जान। बलिचंचा नै देखनैं, भय पाया असमान ।। कंपण लाग्या भय करी, आनंद रस सोपंत। मन उद्वेग लह्य घणं, अतिही भय उपजंत ।। १. तए णं ते बलिचचारायहाणिवत्थब्बया बहवे असुरकुमारा देवा य देवीओ य तं बलिचंच रायहाणि इंगालब्भूय जाव समजोइब्भूयं पासंति, पासित्ता भीआ २. तत्था तसिआ उब्बिग्गा संजायभया 'उत्त्रस्ताः' भयाज्जातोत्कम्पादिभयभावाः 'मुसिय' त्ति शुषिताऽऽनन्दरसाः। (वृ०-प० १६७) श०३, उ०१, दा०५३, ५४ ३३५ Jain Education Intemational For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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