Book Title: Bhagavati Jod 01
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 472
________________ ठाणांग (ठाणं)७४, ७६, १६१, १६२, २७८, २७६, २८७- २८६, २६३, ३०४, ३६५, ४१२, ४१३ ठाणांग टब्बा २८७ ठाणांग टीका २६३ ११५, ११६, १५६, १६१, १६३, २१३, २५८, २६६, २८०-२८२, २८४, २८७, २८६-२६१, २६३, ३१२, ३४१, ४१३ भगवती-यंत्र (धर्मसी) १६३, २६० भगवती वृत्ति ७२, १५६, २६२, २८४, ४१६ दशवकालिक २२, ७५, १५८ दशाश्रुतखंध २२८, २३०, २७८ दीपिका (हर्ष कुशलकृत) २६१ राय प्रश्रेणी (द्वितीय उपंग) २७०, २७८, २८२, २८८, २६०, ३२४, ३३२, ३६४ राय प्रश्रेणी वृत्ति १५८, १६६, २५६, २६० नंदी ११३ निरियावलिया (निरावलिया) २७७, २८० निशीथ (नशीथ) ७२, ७३, निशीथ चूणि १६०, २६१-२६३ ववहार वृत्ति (व्यवहार) १६०, २६१, २६२ विन्हिदसा २८० विपाक ३४० विवाह पण्णत्ति (व्याख्याप्रज्ञप्ति) ३, ५-७, २०, २१, २४, २८४ पन्नवणा ५६, ६३, ७१-७३, ८६,६५, १८,११३, १२०, १८७, १६०, २४३, २४६-२४८, २६३, २६७, २६६, ३०४,४००, ४११,४१८,४२० पन्नवणा वृत्ति ७२, ४२०, पुष्फिया उपंग २६०, ३४० समवायांग २०,११३, २६३ सूयगडो (सूत्रकृतांग) ४, १५६, १६१, २५८, २६३, २७७ २७६, २८१,२८३, २८४,२८६,२८८,२६० सूयगडो टब्बा २८३ सूयगडो-टीका (शीलांकाचार्य कृत) २८३, २८४, २८८ सूयगडो-दीपिका (दीपका) २६१, २६३, २८५ सूयगडो-वृत्ति २६३ बृहत्कल्प २३, ११६, २६२ बृहत्कल्प चूणि १६०, २६२ बृहत्कल्प वृत्ति १६०, २६२ भगवइ जोड़३ हुंडी (लंका की) १६३, २६० भगवती [६] (पंचमांग) ३,४,७,२१,४७,७१, ७३, ७४, हेमी नाम माला २८७ विशेष नामानक्रम ४३४ Jain Education Intemational For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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