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सरल तथा सुन्दर शैली से अहिंसावाद, अनेकान्तवाद, कर्मवाद ईश्वरवाद और अपरिग्रहवाद इन पांच सिद्धान्तों की व्याख्या कर है। इस महान परिश्रम के लिये श्री ज्ञानमुनि जो न केवल जैनसमाज अपितु समस्त मानव समाज के धन्यवाद के पात्र हैं। लुधियाना ।
कांशीराम चावला २३-९-१९५९ )
Wealth is lost, nothing is lost, c (Health is lost, Something is lost, € Character is lost, Everything is lost,
. यदि जीवन मे धनका नाश हो जाय तो कोई चिन्ता की बात नहीं, धन और कमाया जा सकता है। यदि जीवन का स्वास्थ्य चला जाए तो कुछ हानि होती है क्योकि
"शरीरमाद्य खलु धर्मसाधनम्" के अनुसार धर्म साधना के लिए शरीर का स्वास्थ्य अपेक्षित रहता हैं, किन्तु जीवन मे से यदि करैक्कटर चला जाए, सदाचार का देवता जीवन से रूठ जाए तो समझ ले, उसके जीवन का सर्वस्व नष्ट हो गया, कुछ भी उसके पल्ले नही रहने पाया ।।