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है। प्रस्तुत में तो केवल इतना ही बतलाना इष्ट है कि मांसाहार का अहिंसा के साथ कोई सम्बन्ध नहीं है ।
हिंसक भारत हिंसा की ओर
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भारत सदा से संसार को अहिंसा का पाठ पढ़ाता रहा हैं, इस सत्य से कभी इन्कार नहीं किया जा सकता | इतिहास हम बात का गवाह है । आज भी भारत सरकार पंचशील के नाम' से संसार में अहिंसा का प्रसार कर रही है। किन्तु इस बात से भी श्राज इन्कार नहीं किया जा सकता कि ससार को हिंसा का पाठ पढ़ाने वाला भ रत आज स्वय हिंसा की ओर बढ़ रहा है। महात्मा गांधी के अहिंसक भारत मे आज हिंसा का बोलबाला हो रहा है । महान् अहिसक महाराज अशोक के सिंह चक्र को राष्ट्रिय चिन्ह बना कर भी आज का भारत उन की शिक्षाओं से कोमों दूर है। पशुहत्या को ही लें । महाराज अशोक के शासनकाल मे समस्त भारत में पशुहत्या बन्द कर दी गई थी, परन्तु आजकल भारत में पशुहत्या दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रही है । अंगरेजी राज्य के समाप्त हो जाने पर भी पशुआ की हत्या में कमी नहीं हुई, बल्कि वृद्धि ही हुई है। अरा रेजो शासन में प्रतिवर्ष लगभग एक करोड़ गौमों की हत्या होती थी । उस समय भारत अखण्ड था । पाकिस्तान
नने नहीं पाया था । पाकिस्तान बन जाने पर पशुओं का एक तिहाई भाग पाकिस्तान में चला गया । इस से स्पष्ट हैं कि स्वतंत्र भारत मे पशुहत्या मे कमी आजानी चाहिए थी, किन्तु १६५५ - ५६ ई० की सरकारी रिपोर्ट से ज्ञात होता है कि कतल किए गए गाय और बछड की ८० लाख ७० हजार खालो निर्यात भारत ने किया है। ये सब खालें रूस, अमरीका तथा इगलैण्ड आदि देशों में भेजी गई । इस के
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