Book Title: Bhagavana Mahavira ke Panch Siddhant
Author(s): Gyanmuni
Publisher: Atmaram Jain Prakashan Samiti

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Page 207
________________ (१८९) पारिवारिक जीवन मे सामाजिक और राष्ट्रिय जीवन मे सुखशान्ति का संचार करता है,उसके समस्त दुखो का,क्लेशो का सदा के लिए नाश कर देता है । आज परिवारो मे जो असन्तोष, समाज मे क्षोभ, प्रान्तो मे विप्लव, राष्ट्र मे तूफान और विश्व मे जो युद्ध-ज्वाला दृष्टिगोचर हो रही है, उस का मूल कारण परिग्रह ही है । धन, धान्य आदि का अमर्यादित और अनियत्रित लोभ ही है । अत परिग्रह को नष्ट किए बिना और अपरिग्रह की प्रतिष्ठा किए बिना परिवार, समाज, राष्ट्र और विश्व मे शान्ति की स्थापना नही हो सकती। अपरिग्रहवाद और साम्यवादअपरिग्रहवाद और साम्यवाद का बडा निकट का सम्बन्ध है । अपरिग्रहवाद, शरीर-यात्रा के लिए जितना आवश्यक हो, उस से अधिक पैसा, अन्न आदि न लेने या न रखने की बात कहता है, जबकि साम्यवाद का उद्देश्य ऐसे वर्गहीन समाज की स्थापना है, जिस मे सम्पत्ति पर समाज का समान अधिकार होता है, और व्यक्ति से शक्ति भर काम लेकर उस की सारी आवश्यकताए पूर्ण की जाती हैं । रूस ने ससार को साम्यवाद का जो सन्देश दिया है, या वह दे रहा है, जिस से सब मनुष्य पाराम के साथ रोटी, कपडा और मकान प्राप्त कर सके, वह भगवान महावीर के इस अपरिग्रहवाद का ही रूपान्तर है। इस मे इतना अन्तर अवश्य है कि रूस का साम्यवाद हिंसा को साथ लेकर चलता है, और बलपूर्वक लोगो पर लादा जाता है किन्तु भगवान महावीर के अपरिग्रहवाद मे हिंसा को कोई स्थान नही है, वहा तो अहिसा, प्रेम और सहानुभूति का सर्वतोमुखी साम्राज्य है और यह किसी पर बलपूर्वक

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