Book Title: Bhagavana Mahavira ke Panch Siddhant
Author(s): Gyanmuni
Publisher: Atmaram Jain Prakashan Samiti

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Page 223
________________ (२०५) बताया है। अत प्रत्येक शान्ति-प्रिय व्यक्ति को परिग्रह का परिमाण करके अपरिग्रह को सुवास से अपने अन्तर्जगत को सुवासित करना चाहिए। धन की आवश्यक मर्यादा करके परिवार, जाति और राष्ट्र के भविष्य को उज्ज्वल बनाने मे अपना योगदान देना चाहिए। उपसहारभगवान् महावीर का अपरिग्रहवाद आधुनिक युग की ज्वलन्त समस्याओ का सामयिक सर्वोत्तम समाधान है । यदि इसे पारिवारिक, सामाजिक और राष्ट्रिय जीवनो मे अपना लिया जाए तो अर्थ-विषमता को लेकर ससार मे जो भी समस्याएं चल रही है वे सब जल्दी समाप्त हो सकती हैं। अर्थ-तृष्णा की आग मे मानवजगत जलकर भस्म न हो जाए, मानव-जीवन का एक मात्र लक्ष्य धन ही न बन जाए, जीवन चक्र माया के इर्द गिर्द ही न घूमता रहे और जीवन का उच्चतर लक्ष्य ममत्व के अन्धकार मे विलीन न हो जाए इसके लिए अपरिग्रहवाद का भाव जीवन मे लाना ही पड़ता है। विश्व-शान्ति के लिए इससे बढकर और कोई साधन नही है।

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