Book Title: Bhagavana Mahavira ke Panch Siddhant
Author(s): Gyanmuni
Publisher: Atmaram Jain Prakashan Samiti

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Page 203
________________ (१८५) बाग, बाड़ी, वन आदि अनेको भेद होते है। जहा धान्य की उत्पत्ति हो वह खेत है । जहा मेवा, फल, फूल आदि की उत्पत्ति हो उसे बाग कहते है । शाक, सब्जी, भाजी आदि के उत्पत्तिस्थान को बाडी और जहा सामान्यरूप से घास, घने वृक्ष आदि हो उसे वन कहा जाता है । गृहस्थ क्षेत्र का सर्वथा त्याग नही कर सकता है, अत उसे ममत्व भाव को कम करने के लिए क्षेत्र की मर्यादा कर लेनी चाहिए, और परिमाण कर लेना चाहिए कि मैं इतने लम्बे-चौडे क्षेत्र से अधिक क्षेत्र (स्थान) अपने अधिकार मे नही रखूगा। २-वास्तुयथापरिमाण-घर, हवेली, महल, प्रासाद, दुकान, गोदाम, भोयरा, बगला, झोपडी इन सबको मर्यादा करना । एक मजिल वाला मकान घर कहलाता है, दो या दो से अधिक मज़िल वाला मकान हवेली या महल कहा जाता है। जो शिखर-बन्द हो, उसे प्रासाद कहा गया है । व्यापार करने की जगह दुकान, माल रखने की जगह को गोदाम, जमीन के अन्दर वने घर को भोयरा, वाग, वगीचे मे वने घर को बगला और घास-फूस से बने घर को कुटी या झोपडी कहते है । इन मे से जिस की जितनी संख्या मे आवश्यकता हो उसे रखकर शेष का परित्याग कर देना चाहिए। ३-४-हिरण्य-सुवर्ण-प्रयापरिमाण-हिरण्य चादी का नाम है और सुवर्ण सोने को कहते है। चादो और सोने की तथा इन के अभूषणो की मर्यादा करना । जहा तक पुराने आभूपणो से काम चलता हो तो चलाना चाहिए, क्योकि नए अभूपणो के बनवाने मे अग्नि-काय आदि का प्रारभ और ममत्व का

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