________________
(२७)
उन में से पाच हजार को केवल शाकाहार फल, फूल, अन्न आदि पर और पांच हजार को मासाहार पर रखा गया था । छह महीनों के बाद जाच करने पर मालूम हुआ कि मांसाहारियों की अपेक्षा शाकाहारी सब बातो मे तेज रहे। शाकाहारियों में दया, क्षमा, प्रेम आदि गुण प्रकट हुए और मांसाहारियों में क्रोध क्रूरता, भीरुता आदि दुगुणो का प्रादुर्भाव हुआ। मांसाहारियों से शाकाहारियों मे बल, सहनशक्ति आदि गुण भी विशेष रूप से पाए गए। शाकाहारियों में मानसिक शक्ति का विकास अच्छा हुआ। इस परीक्षण से यह स्पष्टरूप से सिद्ध हो गया था कि मांसाहार शाकाहार की बराबरी व ममता नहीं कर सकता । ___यह सत्य है कि सजीव वनस्पति का भोजन भी एकदम निष्पाप नहीं है, उस मे भी हिंसाजन्य पाप होता है किन्तु इस का यह अर्थ नहीं है कि वह मासाहार के समान पाप है। दोनों में मेरुपर्वत और सरसों जैसा अन्तर है। इस तथ्य को एक उदाहरण से समझिए
कल्पना करो, एक व्यक्ति किसी के मकान में सेंध लगा कर और ताले तोड कर चोरी करता है और दूसरी ओर एक व्यक्ति दॉत खुरचने के लिए किसी के घर में पड़े हुए घास के तिनके को उठा लेता है, मालिक की आज्ञा बिना उसे ग्रहण कर लेता है। दोनों जगह बिना दी हुई वस्तु को ग्रहण किया गया है, दोनो स्थानों पर चोरी की गई है, दोनों मे अदत्तादान चल रहा है। फिर भी इन दोनों अदत्तादानों में अन्तर अवश्य है। व्यावहारिक दृष्टि और शास्त्रीय दृष्टि इन में महान अन्तर देखती है । सेध लगा कर या ताले तोड़ कर चन चुराने वाला व्यक्ति राजदण्ड का पात्र होता है। उसे जेलखाने में जाना पडता है, किन्तु तिनका उठाने वाले व्यक्ति को आज तक किसी न्यायालय ने जेल नहीं भेजा । यह नो हुई व्यावहारिक दृष्टि की