Book Title: Bat Bat me Bodh Author(s): Vijaymuni Shastri Publisher: Jain Vishva Bharati View full book textPage 7
________________ सम्पादकीय चौबीस वर्ष की अल्प आयु से साहित्य सृजन में रत मुनि श्री विजयकुमार एक निष्ठाशील लेखक है । गद्य और पद्य लेखन की दोनों विधाओं में मुनि श्री का समान अधिकार है। 'निर्माण की दहलीज पर' नाम से नाटकों की भी एक कृति का परिमार्जित दूसरा संस्करण अभी निकला है। बच्चों के चरित्र निर्माण की दृष्टि से लिखा गया 'मुस्कान' नामक शिक्षाप्रद कविताओं का संग्रह भी इसी वर्ष प्रकाशित हुआ है। अब तक मुनि श्री की कुल सोलह पुस्तके प्रकाशित हो चुकी हैं और सभी का सहृदय पाठकों ने अच्छा स्वागत किया है। प्रस्तुत पुस्तक 'बात-बात में बोध' का पहला संस्करण १६८६ में छपा था। तीन वर्ष के थोड़े समय में इसका तीसरा संस्करण प्रकाशित होना अपनेआप में इसकी पठनीय सामग्री का परिचय है । इसमें जैन दर्शन के विविध पहलुओं को सरल व सरस वार्तालाप की शैली में प्रस्तुत किया गया है । पुस्तक जैन दर्शन के जिज्ञासुओं, विशेषतः विद्यार्थियों के लिये बहुत उपयोगी बन पड़ी है । २५ जुलाई १९६२ जतनलाल रामपुरिया १५, नूरमल लोहिया लेन कलकत्ता-७००००७ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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