Book Title: Avashyaksutra Niryuktirev Curni Part_2
Author(s): Haribhadrasuri, Gyansagarsuri, Bhadrabahuswami,
Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
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कायोत्सर्गे दोषद्वारं निगा० १५६०१५६१
आवश्यक- घोडगलयाइखंभे कुड्डेमाले यसवरि बहु नियले।लंबुत्तर थण उद्धी संजय खलि[य]वायसकवि₹१५६० नियुक्तेरव-सीसुक्कंपिय सूई अंगुलिभमुहा य वारुणी पेहा । नाहीकरयलकुप्पर उस्सारिय पारियंमिथुई ॥१५६१॥ चूर्णिः ।
एतद्व्याख्यानगाथाः 'आसुक्व०' इत्याद्याः॥२३५॥
आसुध विसमपायं गाय ठावित्तु ठाइ उस्सग्गे । कंपइ काउस्सग्गे लयच्व खरपवणसंगेणं ॥ १ ॥ खंभे वा कुडे वा अवठंभिय ठाइ काउस्सग्गं तु । माले य उत्तमंग अवठंभिय ठाइ उस्सग्गं ॥ २ ॥ सवरी वसणविरहिया करेहि सागारियं जह ठवेइ । ठइऊण गुज्झदेसं करेहि तो कुणइ उस्सग्गं ॥ ३ ॥ अवणामि उत्तमंगो काउस्सगं जहा कुलबहुन्छ । नियलियओविव चलणे वित्थारिय अहव मेलबिउं ॥ ४ ॥ काऊण चोलपट्टे अविधीए नाभिमंडलस्सुवरि । हिट्ठा य जाणुमित्तं चिट्ठई लंबुत्तरुस्सग्गं ॥ ५ ॥ उच्छाईऊण य थणे चोलगपट्टेण ठाइ उस्सग्गं । साइरक्खणट्ठा अहवा अन्नाणदोसेणं ॥ ६॥ मेलित्तु पण्डियाओ चलणे विस्थारिऊण बाहिरओ। ठाउस्सग्गं एसो बाहिरउद्धी मुणेयत्वो ॥७॥ अंगुढे मेलविउं वित्थारिय पण्डियाओ बाहिं तु। ठाउस्सगं एसो भणिओ अमितरुद्धित्ति ॥ ८॥ कप्पं वा पटुं वा पाइणिउं संजइब उस्सग्गं । ठाइ य खलिणं व जहा स्यहरणं अग्गओ काउं ॥९॥ भामेइ तहा दिर्डि चलचित्तो वायसुख उस्सग्गे । छप्पइआण भएणं कुणई अ पढें कबिटुं व ॥ १० ॥ सीसं पकंपमाणो जक्खाइट्ठव कुणइ उस्सग्गं । मूयब हुबहुअंतो तहेब छिज्जंतमाईसु ॥ ११ ॥ अंगुलिभमुहाओवि य चालतो तय कुणइ उस्सग्गं । आलावगगणणट्ठा संठवणत्थं च जोगाणं ॥ १२ ॥ काउस्सग्गंमि ठिओ सुरा जह बुडबुडेइ अवत्तं । अणुपेहंतो तह वानरुत्व चालेह ओहउडे ॥ १३॥ एए काउस्सग्गं
॥ २३५ ॥
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