Book Title: Avashyaksutra Niryuktirev Curni Part_2
Author(s): Haribhadrasuri, Gyansagarsuri, Bhadrabahuswami,
Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
View full book text ________________ यावश्यकनियुक्तरव- चर्णिः / // 286 // 6 प्रत्याख्यानाध्ययनम् सम्पूर्ण ततः सर्वनयविशुद्धं-सर्वनयसम्मतं वचनं यच्चरणगुणस्थितः साधुः, यस्मात् सर्वनया भावनिक्षेपमिच्छन्ति // 1637 / इति प्रत्याख्याननियुक्त्यवचूणिः॥ आद्यपञ्चविंशति[ हस्तलिखितावपकनियुक्ति पत्रसका तु किश्चित्सविस्तरा / / श्रीमत्तपागणनभोङ्गणमास्कराणां, श्रीदेवसुन्दरखुगोचमपादुकानां / शिष्यैजिनागमसुधाम्बुधिलीनचिचः, श्रीज्ञानसामरगुरूत्तमनामधेयः // 1 // खाम्धियुगेन्दु 1440 मितेऽन्देऽप्रचूणिरावश्यकस्य जयिनी। विदधे वृहविवरणात् श्रुतमक्या परहितहेतोः // 2 // समाप्ता चेयं श्रीआवश्यकतान्धनिर्यक्यागिराचार्य श्रीहरिभद्रपूरिकृतवृत्त्यनुसारेण भट्टारकत्रीज्ञानसापरसूरिविरचिता // छ / // इति सिरिभद्दबाहुसामीविरइया पञ्चखाणनिज्जुत्ती समत्ता / / 286 // Jain Education Inte For Private & Personel Use Only JNMainelibrary.org
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