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आवश्यकसूत्रस्व
नीवा ऽधस्ताद्विमुञ्चति, दत्त्वा च गलहस्तं गर्भे पातयति, अधोमुखमम्बरतले समुत्क्षिप्य पुनः पुनः पतन्तं शूलादिना विध्यति, पापं संस्मार्य संस्मार्य चानेकधा भूयः कदर्थयति । १ ।
खण्डनः
'अम्बरीषो ' नारकान् मुद्गरादिना कुट्टयित्वा क्रकचादिभिः कृत्वा भ्राष्ट्रादौ पचति, हताऽऽहततया मूच्छिताँश्च तान् कदलीस्तम्भवचर्मणामेकैकं पुटमुत्पाट्योत्पाटय कदर्थयति । २ ।
' श्यामः ' कशाघातादिना शातयति, हस्तपादादीन् दुर्दर्शतया छिनत्ति, शूल - सूच्यादिना विध्यति, उपरितो वज्रशिलायां पातयति, तथा रज्ज्वादिना पटकने वाले, गर्दनिया देकर (गर्दन पकड कर ) गड्ढे में गिरानेवाले, उलटे मुँह आकाश में उछाल कर गिरते समय बर्छा आदि भोंकने वाले, और पाप का वारम्वार स्मरण कराकर अनेक प्रकार से पीडा पहुँचाने वाले ।
(२) अंबरीष - नेरइयों को मुद्गर आदि से कूट कर करोत, कैंची आदि से टुकडे २ कर भाड भूँजने वाले तथा अधमरे कर के कदली स्तम्भ के समान एक एक चर्मपुट को खींच कर दुःखी करने वाले ।
(३) श्याम -- कशा (कोडा) आदि से पीटने वाले, हाथ पैर आदि अवयवों को बुरी तरह काटनेवाले, शूल सुई आदि से बींधनेवाले, ऊपर से वज्रशिला पर पटकने वाले, और रस्सी
(૧) આંખ-નારકી જીવાને આકાશમાં લઈ જઈને નીચે પછાડવાવાળા, ગરદન પકડીને ખાડામાં ફૂંકવાવાળા, અવળા મેઢ આકાશમાં ઉછાળીને પડતી વખતે બરછી વિગેરે લાંકવાવાળા, અને પાપનું વારંવાર સ્મરણ કરાવીને અનેક પ્રકારથી પીડા પહાંચાડવાવાળા,
(२) मंजरीष-नेरयाने भुगहर माथि टीने शेत, थी (तर) माहिथी ટુકડા ટુકડા કરીને ભઠીમાં શેકવાવાળા તથા અધમુવા કરીને કેળના થાંભલાની જેમ એકેક ચપુટને ખેચીખેચીને દુ:ખી કરવાવાળા.
(3) श्याम-शा (अयडा ) माहिथी भारवावाजा, हाथ पत्र आहि वयोवाने છુરી રીતે કાપવાવાળા, શૂળ સેય આદિથી વીધવાવાળા, ઉપરથી વજ્ર શિલા ઉપર