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आवश्यकसूत्रस्य चौथा अणुव्रत-थूलाओ मेहुणाओ वेरमणं, । सदारसंतोसिए, अवसेसमेहुणविहिं पञ्चक्खामि जावज्जीवाए, देवदेवी-सम्बन्धी दुविहं तिविहेणं न करेमि, न कारवेमि, मणसा वयसा कायसा, तथा मनुष्य-तिर्यञ्च-सम्बन्धी एगविहं एगविहेणं न करेमि कायसा, एवं चौथा स्थूल मेहुणवेरमणव्रत के पंच अइयारा जाणियम्वा न समायरियव्वा, तंजहा ते आलोउं इत्तरियपरिग्गहियागमणे, अपरिग्गहियागमणे, अनंगकीडा, परविवाहकरणे, कामभोगतिव्वाभिलासे, जो मे देवसिओ अइयारो कओ तस्स मिच्छा मि दुक्कडं ।
पांचवा अणुव्रत-थूलाओ परिग्गहाओ वेरमणं, खेत्त-वत्थु का • यथापरिमाण, हिरण्णसुवण्ण का यथापरिमाण, धनधान्य का यथापरिमाण, दुपयचउप्पय का यथापरिमाण, कुवियधातु का यथापरिमाण, जो परिमाण किया है, उसके उपरान्त अपना करके परिग्रह रखने का पच्चक्खाण, जावज्जीवाए, एगविहं तिविहेणं न करेमि मणसा वयसा कायसा, एवं पांचवां स्थूलपरिग्रह परिमाण-व्रत के पंच अइयारा जाणियव्वा न समायरियव्वा, तंजहा-ते आलोउं खेत्तवत्थुप्पमाणाइक्कमे हिरण्णसुवण्णप्पमाणाइक्कमे धणधन्नप्पमाणाइक्कमे, दुपयचउप्पयप्पमाणाइक्कमे, कुवियप्पमाणाइक्कमे, जो मे देवसिओ अइयारो कओ तस्स मिच्छा मि दुक्कडं ।
छठा दिशिव्रत-उड्ढदिशि का यथापरिमाण,- अहोदिशि का यथापरिमाण किया है, इसके उपरान्त स्वेच्छा काया से आगे जाकर पांच आस्रव सेवन का पचक्खाण जावज्जीवाए' दुविहं तिविहेणं न करेमि न कारवेमि, मणसा वयसा कायसा, एवं छठे दिशिव्रत के पंच अइयारा जाणियव्वा, न समायरियव्वा, तंजहा ते आलोउं उड्ढदिसिप्पमाणाइक्कमे, अहोदिसिप्पमाणाइकमे, तिरिअदिसिप्पमाणाइक्कमे, खित्तवुड्ढी, सइअन्तरद्धा, जो मे देवसिओ अइयारो कओ तस्स मिच्छा मि दुकडं।
१-'एगविहं तिनिहेणं' भी कोई कोई बोलते हैं।