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अष्ट प्रवचन माता सज्झाय - (१२) मुखवस्त्रिका=बोलते समय मुख पर रखा जाने वाला कपड़ा ।
(१३) मात्रक = ( पड्धा ) लघु शङ्का आदि परठने के काम में आनेवाला
पात्र
थान पर पहनने का कपड़ा।
( पञ्च वस्तुक गाथा--७७१-७७६ )
" आगमोक्त उपकरण" १ भंड, ४ पात्र ३, ५ झोली, ६ पाय केसरिया ( पात्र प्रमार्जनिका ) ७* पाय ठवणं ( मंडलीयो ) १० पडला, संख्या ३) ११ गोच्छग, १२ रस्तान, १३-१४-१५, पछेवडी ३, १६ रजोहरण, १७ चोलपटो, १८ मुखवस्त्रिका, १६ पाय पुंछण ।
( प्रश्नव्याकरण संवर द्वार ५ पांचवां ) प्रथम में भी नाम है दे० पृ० २०८ १ डंडा, २ लाठी, ३ वांस की खपाट, ४ ( निशीथ-उद्देश १ )
आर्याओं के लिये १ जाँघिया, २ कंचुको, (वृहत्कल्प -उद्देश ३ ) स्थविर के लिये
१ छत्र, २ दंड, ३ भंड, ४ मत्र, ५ लाठी, ६ पाटली, ७ चेल. ८ चिलमिली, ६ चर्म, १० चर्म कोथली, ११ चर्मखंड,( ववहार-उद्देश-८ )
१ पात्र, २ पात्र बंधन-झोली, ३ पात्र केसरिका-कम्बल का टुकड़ा, १४पात्र स्थापन-पात्र रखने का कपड़ा, ५-६-७ तीन पटल-पात्र ढंकने के वस्त्रः ८ रजस्त्राण-पात्र में लपेटने का वस्त्र जिसको आज रस्तन कहते हैं, ६ गोच्छक-पूजणी, १०-११-१२ प्रच्छादक-ओढ़ने के तीन वस्त्र जिसमें दो सूती और एक ऊनी, १३ रजोहरण, १४ चोलपट्टा-धोती के स्थान पर बांधने का वस्त्र; १५ मुखानन्तक-- मुखवस्त्रिका,,
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