Book Title: Asht Pravachanmata Sazzay Sarth
Author(s): Agarchand Nahta
Publisher: Bhanvarlal Nahta

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Page 90
________________ ज्ञानार्णव में अष्ट प्रवचनमाता ये पाँचों समितियाँ चारित्र को प्रकृति के लिए कही गयी है और तीनों गुप्तियाँ शुभ और अशुभ सर्व प्रकार के अर्थों से निवृति के लिए कथन की गयी हैं ॥२६॥ जो मुनि इन प्रवचन माताओं का सम्यग् भाव से आचरण करता है, वह पण्डित सर्व संसार चक्र से शीघ्र ही छूट जाता है। ऐसा मैं कहता हूँ ॥२७॥ समाप्त दि० आचार्य शुभचन्द्र रचित ज्ञानार्णव में अष्ट प्रवचनमाता [श्वेताम्बर साहित्य के अतिरिक्त दि० साहित्य में भी अष्ट प्रवचन माता का विवरण मिलता है, कुन्दकुद के नियमसारादि ग्रन्थों में संक्षिप्त विवेचन है । ज्ञानार्णव में कुछ विस्तृत विवेचना होने से उसके संबन्धित श्लोकों का अनुवाद दिया जा रहा है। ] . संयम सहित है आत्मा जिनका ऐसे सत्पुरुषों ने ईर्ष्या; भाषा, एषणा, आदान निक्षेपण और उत्सर्ग ये हैं नाम जिनके ऐसी पांच समितियें कही हैं । मन, वचन काय से उत्पन्न अनेक पापसहित प्रवृतियों का प्रतिषेध करने वाला . प्रवर्तन, अथवा तीनों योग ( मन, वचन, काया की क्रिया ) का रोकना, ये तीन, गुप्तिये कही गई हैं। ___जो मुनि प्रसिद्ध सिद्धक्षेत्रों का तथा जिन प्रतिमाओं को वंदने के लिए तथा गुरु, आचार्य वा जो तप से बड़े हों, उनकी सेवा करने के लिए गमन करता हो उसके, तथा दिन में सूर्य की किरणों से स्पष्ट दीखनेवाले, बहुत लोग जिसमें गमन करते Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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