Book Title: Asht Pravachanmata Sazzay Sarth
Author(s): Agarchand Nahta
Publisher: Bhanvarlal Nahta

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Page 87
________________ अष्ट प्रवचन माता उत्तराध्ययन सुत्रम् का चौबीसवाँ अध्याय ( स्थानांग सूत्र में ५ समिति ३ गुप्ति का उल्लेख है। समवायांग में इनका संक्षिप्त विवरण भी है भगवती सूत्र के श० २५ उ० ६ में प्रवचनमाता का उलेख है पर उत्तराध्ययन में तो स्वतंत्र अध्ययन ही है अतः उसीका अनुवाद दिया जाता है।) समिति और गुप्तिरूप आठ प्रवचन माताएँ हैं जैसे कि पाँच समितियां और तीन गुप्तियाँ॥१॥ ___ईर्यासमिति, भाषासमिनि, एषणा समिति, आदानसमिति और उच्चारसमिति, तथा मनोगुप्ति, वचनगुप्ति और आठवीं कायगुप्ति हैं। यही आठ प्रवचन माताएं हैं ॥२॥ येआठ समितियाँ संक्षेप से वर्णन की गई हैं । जिन भाषित द्वादशांग रूप प्रवचन इन्हीं के अन्दर समाया हुया है ॥३॥ आलम्वन, काल, मार्ग और यतना इन चार कारणों की परिशुद्धि से संयतसाधुगति को प्राप्त कर या गमन करे ॥४॥ - ईर्या के उक्त कारणों में से आलंबन ज्ञानदर्शन और चारित्र हैं। काल, दिवस हैं; उत्पथव त्याग, मार्ग है ॥५॥ ..द्रव्य, क्षेत्र, काल और भाव से यतना चार प्रकार की है । मैं तुम से कहता हूँ, तुम सुनो ॥६॥ __ द्रव्य, से आँखों से देख कर चले। क्षेत्र से चार हाथ प्रमाण देखे। काल से- जब तक चलता रहे। · भाव से उपयोग पूर्वक गमन करे ॥७॥ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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