________________
वह पुण्य देश, वह पुण्य धरा वह देश, वह घरा धन्य है, वन्दनीय है, जिसकी गोद में महामानव अवतरित होते हैं । यो महामानवों की कई श्रेणियां होती हैं और उनके आविर्भाव से लोक में कल्याण की चांदनी छिटकती है, पर वे महामानव प्रणम्य हैं जो धरती पर उत्पन्न होकर मानव के अन्तर्जगत् का निर्माण और श्रृंगार करते हैं। क्योंकि मानव-जगत् में वास्तविक सुख और शान्ति की धारा उसी समय प्रवाहित हो सकती है जब मनुष्य का मन पवित्र होगा, जब उसके अन्तःकरण से 'स्वार्थ' की रति दूर होगी और जब वह अपनी आत्मा के रूप को देखेगा । जो महामानव धरती पर उत्पन्न होकर मनुष्य के मन को इस ओर प्रेरित करते हैं, उसकी प्रवृत्तियों को अन्तर् की ओर ले जाते हैं, वे सचमुच मानव-मन के मसीहा होते हैं, सुख और शान्ति के अवतार होते हैं। ऐसी विभूतियां जब और जहां जन्म लेती हैं, धरती स्वर्ग के सदृश सुखदायिनी बन जाती है।
३०