Book Title: Antim Tirthankar Mahavira
Author(s): Shakun Prakashan Delhi
Publisher: Shakun Prakashan Delhi

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Page 47
________________ गढ़-से-गढ़ प्रश्नों के उत्तर बड़ी विद्वत्ता के साथ दिया करती थीं। उन्हीं दिनों किसी विद्वान् ने उनसे बड़े-बड़े गूढ़ प्रश्न किए थे। उन्होंने उन प्रश्नों के उत्तर ऐसी बुद्धिमत्ता के साथ दिए थे कि उनके उत्तरों को सुनकर उसी समय गर्भस्थ महावीर स्वामी की विलक्षणता का पता मनोषी पुरुषों को चल गया था। उचित ही होगा, यदि यहां उक्त विद्वान् के प्रश्नों और त्रिशलादेवी के उत्तरों को एक सूची उद्धृत कर दी जाए : प्रश्न-विद्वान् किसे कहते हैं ? उत्तर-जो शास्त्रों के ज्ञान को प्राप्त करके पाप-पंक में नहीं फंसता, जो मोह में आग्रस्त नहीं होता, और जो विषयों पर विजय प्राप्त करता है, उसे विद्वान् कहते हैं। प्रश्न-सत्-पुरुष किसे कहते हैं ? उत्तर-जो अर्थ, धर्म, काम, मोक्ष-चारों पुरुषार्थों में सिद्धि प्राप्त करके निर्वाण-पद को प्राप्त होता है, उसी को सत्पुरुष कहते हैं। प्रश्न-भीरु किसे कहते हैं ? उत्तर-जो मानव-जीवन पाकर अर्थ, धर्म, काम, मोक्ष में सिद्धि प्राप्त करके निर्वाण-पद प्राप्त नहीं करता, वही भीरु है। प्रश्न-सिंह-पुरुष किसे कहते हैं ? उत्तर-इन्द्रिय-जनित विषयों और काम-रूपी गज को पराजित करने वाले पुरुष को ही सिंह-पुरुष कहते हैं। प्रियकारिणी त्रिशलादेवी के इन उत्तरों को सुनकर उक्त विद्वान् महोदय विस्मित हो उठे। ज्ञान-गोष्ठी में उपस्थित ४५

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