Book Title: Antim Tirthankar Mahavira
Author(s): Shakun Prakashan Delhi
Publisher: Shakun Prakashan Delhi

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Page 93
________________ बनाया। चूंकि उनका उपदेश प्राणी-मात्र की भलाई के लिए था, अतः समस्त विश्व के लोगों ने उसे स्वीकार करके अपना उद्धार किया। अब हम उन गौरवपूर्ण कथाओं का वर्णन करेंगे, जिनमें भगवान महावीर के अदम्य ओज के साथ-ही-साथ उनके वंदनीय ज्ञान की यश-गाथा है। ___ गृहस्थ अनुयायियों में श्रेणिक की कहानी सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण और शिक्षाप्रद है। श्रेणिक का पूरा नाम श्रेणिक बिम्बसार था। वह मगध के नृपति थे। उनके पिता का नाम उपधेणिक था। जीवन के प्रथम चरण में ही किसी कारणवश उपश्रेणिक ने अप्रसन्न होकर बिम्बसार को घर से निकाल दिया था। बिम्बसार घर से निकलकर, निराश्रित, निरावलम्ब इधर-उधर घूमने लगे। आखिर कहीं आश्रय न पाकर वह बौद्ध बन गए और एक बौद्ध-मठ में सम्मिलित होकर अपने जीवन के दिन व्यतीत करने लगे। पर बौद्ध-मठ में बिम्बसार का मन न लगा। कुछ दिनों के पश्चात् उन्हे मठ से अरुचि पैदा हो गई। वह मठ को छोड़कर सुदूर-दक्षिण में कांचीपुरम् जा पहुंचे। बिम्बसार बड़े मेघावी और तेजस्वी थे। राजपुत्र तो थे ही। उनके मुखमण्डल पर प्रताप और तेज झिलमिलाया करता था । कांचीपुरम् में उनके भाग्य के कपाट खुल गए। उन्होंने अपनी बुद्धिमत्ता और शौर्य के बल पर राजदरबार में स्थान प्राप्त कर लिया। उनका जीवन सुख, शान्ति के साथ बीतने लगा। राज-पुरोहित सोम शर्मा उनके गुणों को देखकर उन पर विमोहित हो उठे। उन्होंने अपनी

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