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निर्वाण की पुण्य बेला भगवान महावीर ने तीस वर्षों तक लगातार देश-विदेश का परिभ्रमण किया। वह धरती पर ज्ञान का अमृत-प्रवाह बहाने के लिए आए थे । उनका आविर्भाव दुखी धरती की सकरुण पुकार पर ही हुआ था, इसलिए वह सदा घूमते ही रहे। अपने महान पुरुषार्थ के द्वारा प्राप्त ज्ञान-प्रकाश को धरती पर फैलाते रहे । उन्होंने सचमुच मानव-समाज को दुखों से छुड़ाया, उसके हृदय में ज्ञान का दीपक जलाकर उसे वास्तविक सुख, शान्ति और कल्याण के मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी। उन्होंने उसके सामने सुख, शान्ति और कल्याण के मार्ग को प्रशस्त किया। भगवान महावीर के द्वारा दिखाए हुए पथ पर चलकर सचमुच धरती और धरती का मानव-समाज क्लेशों से मुक्त हो गया।
संसार के रंगमंच पर अनेक क्रान्तियां हो चुकी हैं। पर उन सम्पूर्ण क्रान्तियों का प्रभाव बाह्य-जगत् तक ही सीमित
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