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स्मरणीय जय-यात्रा
भगवान महावीर की वह स्मरणीय जय-यात्रा क्या किसी देश को पराभूत करने के लिए थी ? क्या वह किसी देश की जनता को दासता के लोकिक बन्धनों से मुक्ति दिलाने के लिए थी ? नहीं, उनकी वह जय यात्रा मन की उन कामनाओं और विषय-वासनाओं पर विजय प्राप्त करने के लिए थी, जिनके बन्धनों में बंधकर मनुष्य अपनी मानवता खो चुका था, भांति-भांति के दैत्यों के पाश में फंसकर कलप रहा था। कितना साहसपूर्ण और शौयं भरा था उनका वह चरण ! देशों पर विजय प्राप्त करने वाले तो विश्व के इतिहास में अनेक महापुरुष मिलते हैं, पर कामनाओं और विषय-वासनाओं को जीतने वाले महामानव कम ही होते हैं। भगवान महावीर ऐसे ही महामानवों में अद्वितीय थे । उन्होंने कामनाओं और विषयवासनाओं की कंटीली झाड़ियों को काटने के लिए जो साहसपूर्ण कदम उठाया था, उससे वह अमर बन गये, कोटि-कोटि
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